देश की निचली अदालतों में 3,47,22,175 मुकदमे लंबित हैं। इनमें से 86,777 केस ऐसे हैं जो 30 साल से भी अधिक समय से अदालतों में लंबित चल रहे हैं। देश में अगर 10 साल से अधिक समय से लंबित केसों की बात की जाए तो यह संख्या 28,23, 565 है। कई मामलों में तो न्याय की आस रखने वालों की मौत भी हो जाती है।

नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में 59,867, विभिन्न हाईकोर्ट में 44.75 लाख केस लंबित हैं। निचली अदालतों में 95,19,986 सिविल केस और 2,52,2189 आपराधिक केस लंबित हैं। बुजुर्गों के 21,68,792 केस लंबित हैं।

इनमें से सिविल केस 16,13,683 हैं और आपराधिक केस 5,55,109 हैं। महिलाओं की ओर से दायर 32,16,579 केस लंबित हैं। इनमें से 15,27,535 केस सिविल हैं। जबकि 16, 89,044 केस आपराधिक हैं।

और ये भी: सुप्रीम कोर्ट की जज रही हैं इंसाफ में देरी से पीड़ित
सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज आर. भानुमति भी न्याय में देरी से पीड़ित रही हैं। इसी साल जुलाई में रिटायर होने से पहले विदाई समारोह में उन्होंने यह बात कही थी। उन्होंने कहा था, ‘मैंने पिता को बस हादसे में खो दिया था, जब मैं 2 साल की थी। उन दिनों हमें पिता की मौत पर मुआवजे के लिए मुकदमा दायर करना पड़ा।

मां ने दावा दायर किया और अदालत ने फैसला सुनाया, लेकिन हमें मुआवजा नहीं मिला। मैं, मां, दो बहनें कोर्ट में सुनवाई में देरी और न्यायिक प्रकिया में जटिलताओं के शिकार हुए थे।’

अपनी मौत के 10 महीने बाद निर्दोष साबित हुआ आरोपी
दिल्ली में एक युवती ने पिता पर दुष्कर्म का केस दर्ज करा दिया। केस 22 साल चला। आरोपी 10 साल जेल में रहा। अपनी मौत के 10 माह बाद वह निर्दोष साबित हुआ।

मौत के बाद बहाली का आदेश
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक बैंक कैशियर को गबन के आरोप में 1982 में बर्खास्त किया गया था। केस चलने के दौरान आरोपी की मौत हो गई। 2019 में हाईकोर्ट ने आरोपों से बरी किया।

जज: निचली अदालतों में 5000, 25 हाईकोर्ट में 401 पद खाली
जजों के पद निचली अदालतों में 5 हजार से अधिक, 25 हाईकोर्ट में 401, सुप्रीम कोर्ट में चार खाली हैं। हाईकोर्ट में सबसे अधिक 63 पद इलाहाबाद हाईकोर्ट में खाली हैं। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में 22, पटना हाईकोर्ट में 30, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में 31, राजस्थान हाईकोर्ट में 25, कलकत्ता हाईकोर्ट में 35, बॉम्बे हाईकोर्ट में 28 और आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट में 16 पद खाली हैं।

सुप्रीम कोर्ट के वकील सुमीत वर्मा का कहना है कि मुकदमों के सालों तक खिंचने के दो कारण जटिल कानूनी प्रक्रिया और न्यायपालिका पर अतिरिक्त दबाव है। सुप्रीम कोर्ट के वकील सुमीत वर्मा का कहना है कि मुकदमों के सालों तक खिंचने के दो कारण जटिल कानूनी प्रक्रिया और न्यायपालिका पर अतिरिक्त दबाव है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- यूपीएससी बताए, क्यों नहीं स्थगित हो सकती प्रारंभिक परीक्षाएं
यूपीएससी की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2020 स्थगित करने की मांग करने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने यूपीएससी को निर्देश दिया है कि वह हलफनामा दाखिल कर परीक्षा स्थगित न कर पाने के तार्किक कारण बताए। कोर्ट ने आयोग को मंगलवार काे हलफनामा जमा करने काे कहा। अगली सुनवाई बुधवार 30 सितंबर होगी।

वर्तमान शेड्यूल के अनुसार, प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 4 अक्टूबर को होना है। यूपीएससी की ओर से वकील नरेश कौशिक ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मौजूदा हालात काे ध्यान रखते हुए एक बार परीक्षा स्थगित की जा चुकी है।

पराली पर हाईकोर्ट का केंद्र और तीन राज्यों को नोटिस: पराली जलाने से रोकने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र और तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश को नोटिस भेजा है। याचिका में कहा गया है कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से कोरोना मरीजों की मुश्किलें बढ़ेंगी।

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