कोरबा (आईपी न्यूज)। जब भूकंप, तूफान आदि बड़ी आपदाएं आती हैं, तो पल भर में सब कुछ तहस-नहस हो जाता है। ऐसी स्थिति में संचार के सफल साधन के रूप में हैम रेडियो ( HAM RADIO) काम आता है। भारत स्काउट्स एवं गाइड्स, राष्ट्रीय मुख्यालय नई दिल्ली में 17 दिवसीय हैम रेडिया कोर्स का आयोजन किया गया। इसमें छत्तीसगढ़ से एडल्ट लीडर के रूप में छह स्काउटर्स, गाइडर्स तथा सीनियर रोवर्स सम्मिलित हुए। छत्तीसगढ़ सहित स्काउटिंग के 12 राज्यों के प्रतिभागियों ने कोर्स में भागीदारी की। राज्य के प्रतिभागियों में कोरबा जिला से डीओसी उत्तरा मानिकपुरी, दिगम्बर सिंह कौशिक, जांजगीर चांपा से डा. धनमत महंत, हरीश कुमार गोपाल, सरगुजा से सीनियर रोवर सूरज पटेल, आमेप्रकाश नगेसिया शमिल थे। कोर्स के एलओसी कर्नाटक के राजेश वी एवालक्की थे। कोर्स के अंतिम दिवस भारत सरकार के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा परीक्षा आयोजित की गई। प्रतिभागियों को भारत स्काउट्स एवं गाइड्स के निदेशक राजकुमार कौशिक ने प्रमाण पत्र प्रदान किया। छत्तीसगढ़ के राज्य मुख्य आयुक्त विनोद सेवनलाल चन्द्राकर ने बताया कि राज्य में स्काउट आंदोलन को विस्तार देने और इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा संख्या में छात्र व युवा, शिक्षक उठाएं इसके लिए काम किया जा रहा है। राज्य सचिव कैलाश सोनी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्काउटिंग को गुणवत्तापूर्ण और तकनीकी रूप से और सक्षम बनाया जा रहा है।
क्या है हैम रेडियो?
आमतौर पर हैम रेडियो का इस्तेमाल उस वक्त किया जाता है जब संचार के सारे माध्यम ठप पड़ जाते हैं। किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा में समय सबसे पहले फोन और इंटरनेट बाधित होते हैं। ऐसे समय में हैम रेडियो के माध्यम से ही सूचनाएं पहुंचाई जाती हैं। हैम रेडियो से सीधे तरंगो के माध्यम से संदेश एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाया जाता है इसलिए इसके बाधित होने का सवाल ही नहीं पैदा होता। आपदा प्रबंधन और सेनाएं भी इसका इस्तेमाल करती हैं। इसकी खास बात ये भी है कि इससे आप दुनिया भर में कहीं भी फ्री में बात कर सकते हैं यहां तक कि स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्रियों से भी। इसके लिए बस शर्त इतनी है कि सामने वाले व्यक्ति के पास भी हैम रेडियो सेट होना चाहिए। आज कई लोग इसका इस्तेमाल शौक के तौर पर भी करते हैं। जो लोग हैम रेडियो ऑपरेट करते हैं उन्हें हैम कहते हैं।
कैसे पड़ा नाम हैम?
हैम (HAM) रेडियो का नाम इसके तीन अविष्कारकों हर्ट्ज, आर्मस्ट्रांग और मार्कोनी के नाम पर पड़ा है। क्योंकि इसका उद्देश्य मुसीबत के समय सहायता करना भी है इसलिए इसे Help All Mankind भी कहा जाता है।
कौन बन सकता है हैम रेडियो ऑपरेटर?
दुनिया के लगभग सभी देशों में हैम रेडियो ऑपरेट करने के लिए अलग-अलग पात्रताएं हैं। इसके लिए आपको देश की सरकार की ओर से हैम रेडियो ऑपरेट करने का लाइसेंस दिया जाता है। भारत में 12 या उससे अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति हैम रेडियो ऑपरेटर बन सकता है। देश के लगभग सभी राज्यों में हैम रेडियो क्लब हैं। इन क्लब पर जाकर हैम रेडियो की परीक्षा के लिए आवेदन किया जा सकता है। इसके लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय का टेली कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट एक परीक्षा लेता है। इस परीक्षा में पास होने के लिए आपको बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स का ज्ञान होना जरूरी है। परीक्षा में पास होने के बाद आपकी पुलिस जांच की जाती है और सब कुछ सही पाये जाने पर आपको लाइसेंस दे दिया जाता है। परीक्षा और लाइसेंस के लिए एक मामूली सी फीस होती है जिसे आपको चुकाना होता है। इसके अलावा आपको लाइसेंस पर एक स्पेशल कॉल साइन भी दिया जाता है।
क्या है कॉल साइन?
कॉल साइन एक तरीके से आपका एक विशेष नाम होता है जिससे आप हैम कम्युनिटी में जाने जाते हैं। इस कॉल साइन को आपको हैम रेडियो पर दूसरे हैम से बात करते वक्त बताना होता है। भारत में दो तरह के कॉल साइन दिए जाते हैं। जिसमें जनरल ग्रेड के लाइसेंस पर VU2 और रिस्ट्रिक्टिड ग्रेड के लाइसेंस पर VU3 प्रिफिक्स वाला कॉल साइन दिया जाता है। जनरल ग्रेड के लाइसेंस के लिए बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा एक और परीक्षा देनी होती है जिसमें आपको मोर्स कोड से मैसेज को 8 शब्द प्रति मिनट के हिसाब से भेजना और ग्रहण करना आना चाहिए।
हैम रेडियो कैसे काम करता है?
हैम रेडियो को चलाने के लिए आपको मामूली से पावर बैकअप की जरूरत होती है इसे आप कार की बैटरी से भी ऑन कर सकते हैं। इसके बाद इसका एंटीना सेट करना होता है। आम रेडियो की तरह ही ये भी रेडियो तरंगों के माध्यम से काम करता है। यहां आप एक निश्चित फ्रिक्वेंसी पर कोई संदेश किसी को माइक्रोफोन से बोलकर या मोर्स कोड से भेजते हैं तो दूसरी तरफ बैठे व्यक्ति को वो मिल जाता है। हैम रेडियो एक वन टू वन कम्युनिकेशन सिस्टम है इसमें एक बार में आप एक ही व्यक्ति से बात करते हैं। जब आप बोल रहे होते हैं तो सामने वाला सिर्फ सुन रहा होता है जब वो बोल रहा होता है तब आप सिर्फ सुन रहे होते हैं। इसलिए बात खत्म करने से पहले ओवर बोला जाता है। इसका मतलब होता है कि सामने वाला अपनी बात खत्म कर चुका है अब उसकी बारी है।