नई दिल्ली। देशभर में 21 दिनों के लॉकडाउन के बीच दिल्ली समेत तमाम बड़े शहरों से दूसरे राज्यों के मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन जारी है। मजदूर पैदल ही परिवार के साथ सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने-अपने घरों के लिए निकले हैं। अब लॉकडाउन के चौथे दिन गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे इन प्रवासी मजदूरों समेत बेघर लोगों के खाने-पीने, ठहरने, कपड़े इलाज आदि का पुख्ता इंतजाम करें। केंद्र ने राज्यों से इसके लिए स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड के लिए आवंटित की गई रकम का इस्तेमाल करने को कहा है।
बेघरों, मजदूरों के रहने, खाने, इलाज के लिए राज्यों को निर्देश

केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया, ‘गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि एसडीआरफ फंड के पैसों से लॉकडाउन की वजह से फंसे प्रवासी मजदूरों समेत सभी बेघर लोग जो रिलीफ कैंपों में हैं, के लिए अस्थायी तौर पर ठहरने, रहने, खाने, कपड़े, दवा, इलाज आदि का अस्थायी इंतजाम करें।’

गृह मंत्रालय में जॉाइंट सेक्रटरी पुण्य सलीला श्रीवास्तव ने बताया कि मंत्रालय ने सभी राज्यों से रिलीफ कैंप बनाने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया, ‘हमने प्रवासी मजदूरों के खाने और पानी की व्यवस्था के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से रिलीफ कैंप बनाने का अनुरोध किया है।’ उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इन इंतजामों को लेकर वॉलंटियर्स, एनजीओ वगैरह के जरिए जागरूकता भी फैलानी चाहिए।

8 राज्यों को NDRF के तहत 5,751 करोड़ अतिरिक्त फंड मंजूर

इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने नैशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड के तहत 8 राज्यों के लिए अतिरिक्त 5,551 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। ये राज्य 2019 के दौरान बाढ़, भूस्खलन, तूफान, सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझे थे।

शहरों से गांवों की ओर पैदल ही चल निकला है प्रवासी मजदूरों का हुजूम

लॉकडाउन की वजह से ट्रांसपोर्ट के सारे साधन बंद हैं। दूसरे राज्यों से रोजी-रोटी के लिए शहरों में गए दिहाड़ी मजदूरों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों और गरीबों को इस बात की चिंता सताने लगी कि वे लॉकडाउन के दौरान कैसे खाएंगे, पीएंगे क्योंकि रोजगार तो छिन गया है। लिहाजा भूखों मरने के डर से बड़ी तादाद में मजदूरों का जगह-जगह तमाम शहरों से पैदल ही अपने घरों के लिए निकलना जारी है।

मजदूरों की मजबूरी, भूख से लड़ें या कोरोना से

वैसे तो लॉकडाउन का उद्देश्य सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित करना है ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोके। लेकिन इन बेबस, बेरोजगार मजदूरों के पलायन से लॉकडाउन अपने उद्देश्यों में ही नाकाम होता दिख रहा है और वायरस के संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है। पलायन कर रहे मजदूरों की एक तरफ भूख से जंग है तो दूसरी तरफ कोरोना से।

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