नई दिल्ली. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने रेलवे की आर्थिक दशा पर चिंता जताई है. सीएजी ने कहा है कि रेलवे ने अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर दिखाने के लिए भविष्य की कमाई को अपने खाते में जोड़कर दिखाया. CAG ने रेलवे के आर्थिक हालात से जुड़ी अपनी रिपोर्ट बुधवार को संसद के दोनों सदनों में पेश की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे ने साल 2018-19 में अपना ऑपरेटिंग रेशियो 97.27 दिखाया है. हालांकि रेलवे का लक्ष्य ऑपरेटिंग रेशियो को 92.8 रखना था. फिर भी जो आंकड़े रेलवे की तरफ से दिखाये गए उसके लिए गलत तरीका अपनाया गया.
भविष्य की कमाई के आंकड़ों को भी शामिल किया
रेलवे ने NTPC और CONCOR से भविष्य में मिलने वाले 8,351 करोड़ का माल भाड़ा अपने खाते में जोड़ा. इस तरह से खातों में रेलवे की कमाई ज़्यादा दिखाई गई. अगर ऐसा नहीं किया जाता तो असल में रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो (Railway Operating Ratio) साल 2018 के लिए 101.77 रहा है. यानी उस दौरान रेलवे ने 100 रुपये कमाने के लिए क़रीब 102 रुपये ख़र्च किये. ऑपरेटिंग रेशियो से ही रेलवे की आर्थिक दशा समझी जा सकती है.
CAG के मुताबिक कमाई के आंकड़ों को ग़लत तरीके से पेश कर रेलवे ने अपना फायदा 3773.86 करोड़ का दिखाया. जबकि असल में इस वित्त वर्ष में उसका ग्रोथ नेगेटिव रहा है. CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेलवे ने अगर सही आंकड़े दिखाए होते तो उसे करीब 7335 करोड़ का नुकसान हुआ है.
रेलवे को नहीं मिली LIC से पूरा कर्ज
CAG ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि रेलवे ने 2015-16 में LIC से 5 साल में 1.5 लाख कर्ज़ लेने का करार किया था. यह रकम 2015 से 2020 के बीच मिल जानी चाहिए थी. लेकिन रेलवे 2015 से 2019 तक केवल 16,200 करोड़ रुपये ही ले पाया.
रेलवे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में देरी पर चिंता
इसके अलावा रिपोर्ट में रेलवे प्रोजक्ट में हो रही देरी पर भी चिंता जताई गई है. इसके लिए ज़ोनल रेलवे की क़ाबिलियत पर सवाल खड़े किये गये हैं. साथ ही इसके लिए रेलवे बोर्ड पर भी निशाना साधा गया है.
कोयले ढुलाई से रेलवे को सबसे ज्यादा कमाई
सीएजी का कहना है कि रेलवे कोयले ढुलाई से सबसे ज़्यादा कमाई करता है. यह उसकी माल ढुलाई से होने वाली कमाई का तकरीबन आधा हिस्सा है. रेलवे कोयले की ढुलाई पर बहुत ज़्यादा निर्भर है और इसमें किसी भी तरह से बदलाव से उसकी कमाई पर बहुत बड़ा असर पड़ सकता है.