सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल) कोल इंडिया का अभिन्न हिस्सा है। यह आगे भी रहेगा। फिलहाल कंपनी की इसे अलग करने की योजना नहीं है। कोल इंडिया के एक वरीय अधिकारी ने बताया कि ऐसी अफवाह फैलाई जा रही है कि इसे कंपनी से अलग कर दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सीएमपीडीआईएल के पास भू-संरचनात्मक जटिलताओं के रहते हुए भी खनन परियोजनाओं के संबंध में विस्तृत अनुभव है। सीएमपीडीआई ने प्रतिवर्ष 500 मिलियन टन से अधिक कोयले की अतिरिक्त क्षमता सृजित करने के लिए लगभग 700 परियोजनाओं की योजना बनाई है। इसने खानों की पुनर्संरचना में, भूमिगत खदानों को खुली खदानों में परिवत्तिर्त करने में तथा उबड़-खाबड़ भू-भागों इत्यादि के खनन में महारत हासिल की है।कई अहम परिकंपनी की परामर्श इकाई सीएमपीडीआई ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में 7.8 बिलियन टन कोयला उत्पादन में सहायक सिद्ध हुआ था।
कुल 25 भूगर्भीय रिपोर्ट की तैयारी के माध्यम से 292 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत खोज के बाद यह संभव हो पाया था। कोयला के अतिरिक्त सीएमपीडीआईएल कोल इंडिया की पर्यावरण अनुकूल एवं मशीनकृत तरीके से कोयले के रखरखाव और उसके गंतव्य तक भेजने की ‘फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाओं में तकनीकी परामर्श में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।