ग्रुप-आईबी ने 4,60,000 से अधिक क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड सहित एक ऐसे डेटाबेस का पता लगाया है, जो पांच फरवरी को डार्कबेव जोकर्स स्टाश पर अपलोड किया गया है। इनमें से 98 फीसदी से ज्यादा कार्ड भारत के नामी बैंकों के हैं। बिक रही जानकारियों में कार्ड नंबर के साथ-साथ सीवीवी कोड भी शामिल हैं।
यह भारतीय कार्डधारकों के कार्ड रिकॉर्ड का अपलोड किया गया अब तक का दूसरा सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। कार्ड की जानकारी अपलोड किए जाने का एक पहला मामला पिछले साल अक्तूबर में सामने आया था।
डार्क नेट पर बिक रही इन जानकारियों की कीमत करीब 4.2 मिलियन डॉलर यानी करीब 30 करोड़ रुपये से भी अधिक है। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि यह अहम जानकारी जासूसी वेबसाइट के पास कैसे पहुंची।
ग्रुप-आईबी ने कहा है कि उन्होंने डेबिट-क्रेडिट कार्ड की जानकारी बेचे जाने के बारे में इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) को सूचित कर दिया है। डार्क नेट वे जासूसी वेबसाइट होती हैं, जिनकी आड़ में मादक पदार्थों की तस्करी एवं अन्य गैरकानूनी काम किए जाते हैं।