कोरबा (आईपी न्यूज)। लेमरू हाथी अभ्यारण्य नाम का कोई अभ्यारण्य नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य के वन मंत्री मोहम्मद अकबर के इस जवाब ने संशय की स्थिति पैदा कर दी है। विधानसभा के चालू सत्र में विधायक धर्मजीत सिंह का प्रश्न लगा है। इसमें उन्होंने कोरबा जिले में लेमरू हाथी अभ्यारण्य के सीमा क्षेत्र के निर्धारण की जानकारी मांगी है कि किन- किन जिले के वन क्षेत्र के कौन- कौन से गांवों/सीमातट को इसमेें शामिल किया गया है। चोटिया, बासन, प्रेमनगर के हसदेव क्षेत्र का सघन वन क्षेत्र (बांगो जलाषय का कैचमेंट) को अभ्यारण्य के सीमा क्षेत्र में लिए जाने का विचार किया गया है, यह भी सवाल में है। इधर, इस प्रश्न के जवाब में वन मंत्री द्वारा जो उल्लेखित है वो यह है कि लेमरू हाथी अभ्यारण्य नाम का कोई अभ्यारण्य नहीं है।
यहां बताना होगा कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के घोषणा पत्र में लेमरू हाथी अभ्यारण्य शामिल था। कांग्रेस सरकार बनने के बाद कैबिनेट ने इस निर्णय भी लिया। लेमरू अभ्यारण्य के लिए बकायदा नए सिरे सीमा क्षेत्र का निर्धारण भी किया गया। अभ्यारण्य में प्रदेशभर के हाथियों को लाने की भी चर्चा की गई। वन विभाग के आला अफसरों का दौरा भी हुआ था। बजट में शामिल करने के लिए लेमरू हाथी अभ्यारण्य के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भी भेजा गया है। बहरहाल देखना है कि राज्य सरकार के बजट में लेमरू हाथी अभ्यारण्य को लेकर किस तरह प्रावधान सम्मिलित किया जाता है।