डाकिये और ग्रामीण डाक सेवक जल्दी ही बीमा पॉलिसी बेचते हुए नजर आ सकते सकते हैं। भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण (इरडा) द्वारा जारी दिशानिर्देशों के तहत ऐसे कर्मचारियों की जिम्मेदारी डाक भुगतान बैंक को लेनी होगी। इरडा ने कहा कि बीमा पॉलिसी बेचने के लिए डाकिये और ग्रामीण डाक सेवकों को डाक भुगतान बैंक द्वारा इस काम के लिए प्रायोजित किया जाना जरूरी होगी।

डाक भुगतान बैंक एक कॉरपोरेट एजेंट है और वह प्वॉइंट ऑफ सेल्सपर्सन की तरह काम करने के लिए डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों को प्रायोजित करने के संबंध में इरडा से अनुमति मांग सकता है। इरडा ने कहा कि अगर डाक भुगतान बैंक को अनुमति मिल जाती है तो वह प्वॉइंट ऑफ सेल्सपर्सन बनाये गए अपने व्यक्ति की भूल-चूक के लिए जिम्मेदार होगा।

नियामक ने कहा कि डाक विभाग को डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों की पहचान करनी होगी तथा समय-समय पर इनकी सूची जारी करनी होगी। डाक भुगतान बैंक नियमन के तहत स्वीकृत कितनी भी बीमा कंपनियों से करार कर सकता है। डाकिये ऐसे क्षेत्रों में काम करेंगे जहां बैंकिंग सेवाएं नहीं हैं या पर्याप्त नहीं हैं।

कई कंपनियों के उत्पाद बेचने की अनुमति होगी
इरडा ने कहा है कि डाकिये और ग्रामीण डाक सेवकों के जरिए बीमा उत्पाद बेचने के लिए आईपीपीबी कई बीमा कंपनियों के साथ समझौता कर सकता है। यह समझौता इरडा (रजिस्ट्रेशन ऑफ कॉरपोरेट एजेंट्स) रेगुलेशन 2015 के अनुसार होना चाहिए। बीमाधारकों की सुरक्षा के लिए सभी डाकिये और ग्रामीण डाकसेवकों को जरूरी प्रशिक्षण दिया जाए। इरडा के नियमानुसार सभी पीओएस की केवाईसी की जाए और बीमा उत्पाद बेचने वाले पोस्टमैन-ग्रामीण डाकसेवकों की पहचान के लिए एक सिस्टम बनाया जाए।