नई दिल्ली. मोदी सरकार ने देश को आश्वस्त किया है कि पावर प्लांटों की खपत से 50 साल बाद भी देश से ‘काला हीरा’ यानी कोयला खत्म नहीं होगा. अगर इसी गति से देश के बिजली घरों में कोयले का इस्तेमाल जारी रहा तो भी. क्योंकि हर साल भारत में 4 से 6 बिलियन टन का नया कोयला भंडार मिल रहा है. इस समय 15 प्रदेशों में जमीन के अंदर 3,26,495 मिलियन टन कोयला दबा पड़ा है. राज्यसभा में सांसद राजमणि पटेल के एक सवाल के जवाब में कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस बात की जानकारी दी.
जोशी ने बताया कि जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइनिंग इस्टीट्यूट एवं अन्य एजेंसियां देश में कोयला भंडारों की लगातार खोज कर रही हैं. इसलिए थर्मल परियोजनाओं के लिए कोयला संसाधनों का कोई खतरा नहीं है. राजमणि पटेल ने पूछा था कि थर्मल परियोजनाओं के लिए जिस प्रकार कोयला भंडार का दोहन हो रहा है क्या उससे पचास साल बाद कोयला नहीं बचेगा.
कहां है कितना कोयला, झारखंड में सबसे ज्यादा
कोयला मंत्रालय के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा 84505.96 मिलियन टन कोयले का भंडार झारखंड में है. दूसरे नंबर है ओडिशा जहां 80840.34 मिलयन टन कोयला बताया गया है. छत्तीसगढ़ इस मामले में तीसरे नंबर पर है. यहां 59907.76 मिलियन टन कोल भंडार है. इसी प्रकार 31690 मिलियन टन के साथ पश्चिम बंगाल चैथे और 28793.10 मिलियन टन के साथ मध्य प्रदेश पांचवें स्थान पर आता है. उत्तर प्रदेश और बिहार में भी कोयले के भंडार हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में सोना मिलने की पुष्टि हुई है.
विद्युत क्षेत्र में सबसे ज्यादा खपत
अपने देश में सबसे ज्यादा कोयले की खपत विद्युत क्षेत्र में होती है. बिजली उत्पादन का करीब 60 फीसदी कोयले पर निर्भर है. भारत में सबसे पहले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1774 में दामोदर नदी के पश्चिमी किनारे पर रानीगंज में कोयले का कॅमर्शियल खनन शुरू किया था.