नीतीश कुमार के लिए इस बार राह आसान नहीं है। कहा जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी से ज्यादा चुनौतियां नीतीश कुमार के लिए है। वहीं राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने जो गणित बिठाया है, वह नीतीश कुमार पर भारी पड़ सकता है। वह इसलिए क्योंकि ज्यादातर सीटों पर जेडीयू का मुकाबला आरजेडी से है। वहीं तेजस्वी की जनसभाओं में भारी भीड़ को देख राजनीति के जानकार इसे नीतीश के लिए एक संकेत मान रहे हैं। राजद ने साल 2015 में नीतीश कुमार के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था औऱ कुल 101 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से 80 सीटों पर राजद उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी।
लेकिन इस बार समीकरण बदले हुए हैं। जेडीयू बीजेपी के साथ चुनाव मैदान में है। तो वहीं राजद कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के साथ ताल ठोक रही है। इस चुनाव में राजद ने 144 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। महागठबंधन की सबसे मजबूत पार्टी कही जा रही राजद का मुकाबला ज्यादातर सीटों पर सीधे जदयू से है। एनडीए में सीट शेयरिंग का जो फॉर्मूला तय हुआ है उसके तहत जदयू 115 और बीजेपी 110 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
चुनाव प्रचार में जेडीयू के उम्मीदवारों का जिस तरह से विरोध हो रहा है, उससे भी नीतीश की चिंता बढ़ी होगी। वहीं ज्यादातर सीटों पर आरजेडी से मुकाबला होने की वजह से भी उनके लिए राह आसान नहीं होगा। जनसत्ता की खबर के मुताबिक राजद की हर सीट का अपना सामाजिक गणित है। तगड़ा मुकाबला होगा और प्रत्येक सीट पर जीत का अंतर 2,000 से 5,000 मतों का होगा। वहीं रही सही कसर लोकजन शक्ति पार्टी के नीतीश कुमार के खिलाफ आने से भी पूरी हो गई है। एलजेपी नीतीश की पार्टी को हराने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। हालांकि एलजेपी बीजेपी के उम्मीदवारों को स्पोर्ट कर रही है, लेकिन कई जगह एलजेपी ने बीजेपी के खिलाफ भी उम्मीदावर उतार दिए हैं।
बता दें कि राज्य में पहले चरण के लिए 28 अक्टूबर को वोटिंग होगी। दूसरे फेज का चुनाव 3 नवंबर को और तीसरे चरण का चुनाव 7 नवंबर को होगा। वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी। पहले चरण के लिए एक अक्टूबर को अधिसूचना जारी की जाएगी। पहले फेज में 16 जिलों की 71 सीटों पर मतदान होगा। दूसरे चरण में 17 जिले की 94 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे। तीसरे चरण में बिहार की बाकी सभी 78 विधानसभा सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे।