नई दिल्ली: बोस्टन यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पता चला है कि विटामिन डी का पर्याप्त स्तर कोविड-19 मरीज़ों की स्थिति को बिगड़ने से रोक सकते हैं और इससे ऑक्सीजन की ज़रूरत भी कम हो सकती है.

बोस्टन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने प्लॉस वन में छपे एक लेख में कहा, ’40 वर्ष से अधिक उम्र के मरीज़, जिनमें पर्याप्त विटामिन डी था, उनमें से केवल 9.7 प्रतिशत ही संक्रमण का शिकार हुए, जबकि 25 (ओएच)डी<30 एनजी/एमएल के सर्कुलेटिंग लेवल्स वाले मरीज़ों में ये प्रतिशत 20 था.’

सूजन का संकेत देने वाले सिरम सीआरपी में पर्याप्त कमी और डी के बढ़े हुए प्रतिशत से पता चलता है कि विटामिन डी की प्रचुरता इस वायरल संक्रमण के जवाब में साइटोकीन स्टॉर्म के ख़तरे को कम करके, इम्यून रेस्पॉन्स को ठीक करने में भी मदद कर सकती है.’

25 (ओएच)डी या 25 हाइड्रॉक्सीविटामिन डी, शरीर में विटामिन डी की मात्रा को दर्शाता है. सीआरपी या सी-रिएक्टिव प्रोटीन को आमतौर पर, किसी संक्रमण से पैदा हुई सूजन का स्तर देखने के लिए जांचा जाता है. आमतौर से सूजन जितनी अधिक होगी, संक्रमण भी उतना ही ज़्यादा होगा.

बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन, फ़िज़ियॉलजी, बायोफ़िज़िक्स व मॉलिकुलर मेडिसिन के प्रोफेसर, और स्टडी के लेखक माइकल एफ हॉलिक, पीएचडी, एमडी ने कहा, ‘इस स्टडी से सीधा सबूत मिलता है कि विटामिन डी की प्रचुरता से जटिलताएं कम हो सकती है. साइटोकीन स्टॉर्म (खून के अंदर बहुत तेज़ी के साथ बहुत ज़्यादा प्रोटीन्स का आ जाना) भी कम हो सकता है, और अंत में कोविड-19 से मौतें भी घट सकती हैं.’

स्टडी के दौरान, अस्पताल में भर्ती 235 कोविड मरीज़ों के विटामिन डी लेवल्स नापे गए.

मरीज़ों पर लगातार निगाह रखी गई, कि उनका संक्रमण कितना गंभीर होता है. उन्हें सांस लेने में दिक़्क़त तो नहीं है और क्या वो आख़िरकार इस बीमारी से उबर पाए. उनके सी-रिएक्टिव प्रोटीन और लिम्फोसाइट लेवल्स भी नापे गए.

विटामिन डी की शरीर के इम्यून रेस्पॉन्स में भूमिका है

ऐसा माना जाता है कि विटामिन डी की, शरीर के इम्यून रेस्पॉन्स में भूमिका है. इस बारे में भी विचार व्यक्त किए गए हैं, कि ये कोविड की रोकथाम में काम आता है.

रिसर्चर्स ने लिखा, ‘विटामिन डी इम्यून सेल्स के अपने रिसेप्टर (वीडीआर) के साथ मिलकर, बेक्टीरियल या वायरल पैथोजंस के हमले की सूरत में, जन्मजात और प्राप्त किए गए इम्यून सिस्टम्स को व्यवस्थित करता है. ये रेनिन-एंजियोटेंसिन पाथवे के मॉडुलेटर का काम भी करता है और एसीई-2 को कम करता है. इसलिए, विटामिन डी कोविड-19 के इलाज में ऐसे मदद कर सकता है कि वो साइटोकीन स्टॉर्म और उसके बाद एआरडीएस को रोकता है, जो आमतौर पर मौत का कारण बनते हैं.’

रिपोर्ट में सर्दियों में इंफ्लुएंज़ा के मामलों पर विटामिन डी के असर को समझाने की भी कोशिश की गई है, जब सूरज कम ही निकलता है. एसीई2, सार्स-सीओवी2 वायरस के संक्रमण की मध्यस्थता करता है. इस तरह उसे कम करने से, इनफेक्शन की गंभीरता को हल्का किया जा सकता है.

स्टडी के केवल 32.8 प्रतिभागियों में विटामिन डी का स्तर पर्याप्त था. जिन मरीज़ों में विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में था, उनमें कोविड-19 के क्लीनिकल नतीजों की गंभीरता और मृत्यु दर में कमी देखी गई. पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी वाले मरीज़ों की क्लीनिकल फीचर्स भी काफी अलग थीं. ऐसे मरीज़ों में बेहोश होने या ऑक्सीजन कम होने का ख़तरा भी कम था.

रिसर्चर्स इस निष्कर्ष पर पहुंचे, ‘जिन मरीज़ों में पर्याप्त विटामिन डी था, उनके ख़ून में इनफ्लेमेटरी मार्कर सीआरपी के लेवल्स काफी कम थे और टोटल ब्लड लिम्फोसाइट काउंट ज़्यादा था, जिससे पता चलता था कि विटामिन डी की प्रचुरता ने, इन मरीज़ों में इम्यून फंक्शन को सुधार दिया था और इनफ्लेमेटरी मार्कर्स को बढ़ा दिया था. इम्यून सिस्टम पर ये लाभकारी प्रभाव, संभावित रूप से जीवन के लिए ख़तरनाक, वायरल इनफेक्शन की चपेट में आने के ख़तरे को भी कम कर सकता है.’

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