कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) और ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (डीसीआई) तथा दुनिया की सबसे बड़ी ड्रेजर निर्माता रॉयल आईएचसी हॉलैंड बी वी के बीच नई दिल्ली में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस दौरान पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मंडाविया तथा नीदरलैंड के राजदूत मार्टेन वैन डेन बर्ग भी उपस्थित थे।

मनसुख मंडाविया ने कहा कि भारत सरकार नीली अर्थव्यवस्था यानि समुद्री अर्थव्यवस्था बढ़ाने पर बेहद जोर दे रही है। इस क्षेत्र में विकास की बढ़ती मांग को देखते हुए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये जा रहे हैं। इसी क्रम में मौजूदा प्रमुख बंदरगाहों को विकसित करना और उनका रखरखाव करना, नए बंदरगाहों का निर्माण, ख़ुले समुद्र में संसाधनों की खोज, अत्यधिक विशाल आकार के जहाजों की तैनाती, पर्यटन को बढ़ावा देना तथा समुद्री तटों को बेहतर बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर 7,500 किलोमीटर से अधिक की विशाल तटीय सीमा है। इसको ध्यान में रखकर विकास कार्य करने से देश में महत्वपूर्ण ड्रेजिंग को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी देश को आगे बढ़ने में मदद करेगी।

कोचीन शिपयार्ड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मधु एस नायर ने कहा, ‘’सीएसएल और आईएचसी हॉलैंड बी वी स्थानीय तौर पर विश्व स्तरीय ड्रेजर के निर्माण करने के लिए एक साथ काम करने पर सहमत हुए हैं। 8000 घन मीटर से 12,000 घन मीटर की सीमा में उच्च क्षमता वाले ड्रेजर काफी जटिल उपकरण होते हैं और ये भारत में पहली बार बनाए जा रहे हैं। यहां पर यह भी महत्वपूर्ण है कि ड्रेजर के डिजाइन और निर्माण में दुनिया की अग्रणी आईएचसी हॉलैंड बी वी का सहयोग भी मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा हैं। पहली बार इस उद्योग के तीन दिग्गज भारत के भीतर विश्व स्तरीय ड्रेजर बनाने के लिए हाथ मिला रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह पहल मंत्रालय, सीएसएल और डीसीआई की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना के प्रति वचनबद्धता का ठोस प्रमाण है और इसने मेक इन इंडिया अभियान के तहत निर्माण की क्षमता में एक मानदंड स्थापित किया है।“

रॉयल आईएचसी के साथ सीएसएल का समझौता ज्ञापन भारत के लिए ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सामर्थ्य प्रदर्शित करने और इतने बड़े ड्रेजर के निर्माण की क्षमता स्थापित करने का एक बड़ा अवसर होगा। मेसर्स आईएचसी हॉलैंड, ड्रेजर के डिजाइन और निर्माण के लिए दुनिया में अग्रणी है तथा इसकी सबसे बड़ी बाजार हिस्सेदारी है और अपनी गुणवत्ता एवं प्रदर्शन के लिए यह दुनिया भर में प्रसिद्ध है। आईएचसी एक एकीकृत समाधान प्रदाता है और ड्रेजर डिजाइन तथा निर्माण के क्षेत्र में ज्ञान, विशेषज्ञता, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं विकास और नवाचार आदि में किसी भी प्रतियोगी से बहुत आगे है।

सीएसएल और डीसीआई का समझौता ज्ञापन, अतिरिक्त उच्च क्षमता वाले ड्रेजर की खरीद की आवश्यकता को पूरा करेगा। इसके तहत भारत में निर्मित होने वाले जहाजों को प्रयोग में लाने का निर्णय भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अनुरूप ही है। ड्रेजिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (डीसीआई) भारत के अधिकांश ड्रेजिंग संबंधी गतिविधियों में रखरखाव का कार्य करता है और प्रमुख बंदरगाहों के लिए ड्रेजिंग सेवाओं को देखता है। भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट पर बढ़ती ड्रेजिंग आवश्यकताओं और  बंदरगाह विकास के साथ ही डीसीआई अपनी ड्रेजिंग क्षमता को बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है। भारत में प्रमुख बंदरगाहों पर अधिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के साथ, एक बार विशेषज्ञता हासिल करने के बाद भविष्य में ऐसे ड्रेजरों की आवश्यकता भी भारत में स्वयं पूरी की जा सकती है। सीएसएल और डीसीआई का यह संयुक्त प्रयास भारतीय निजी तथा सार्वजनिक हितधारकों के लिए भारत में ही वैश्विक मानकों पर बड़े जटिल जहाजों के निर्माण के लिए एक मंच उपलब्ध कराता है और यह भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का विस्तार करता है।

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