मुंबई: मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के संपादक और मालिक अर्णब गोस्वामी को शहर के पिढौनी पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ दर्ज शिकायत के संबंध में पूछताछ के एक और दौर के लिए बुधवार 10 जून को तलब किया है.
समन रजा एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी के इरफान अबुबकर शेख द्वारा 2 मई को गोस्वामी के खिलाफ दायर शिकायत से संबंधित है, उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश की. शिकायतकर्ता ने कहा है कि गोस्वामी ने अपने 29 अप्रैल के शो में मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश की.
शिकायत में गोस्वामी पर अप्रैल में मुंबई के बांद्रा में प्रवासी श्रमिकों के एकत्र होने पर सांप्रदायिक अशांति पैदा करने का आरोप लगाया गया था.
मुंबई पुलिस के पीआरओ और डिप्टी कमिश्नर प्रणय अशोक ने कहा, ‘मुंबई पुलिस ने अर्णब के खिलाफ पिढौनी पुलिस स्टेशन में हुए एफआईआर को लेकर सवाल जवाब के लिए उन्हें बुलाया है. पहली मर्तबा हम इस मामले में जांच करेंगे.’
उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के मुख्य वित्तीय अधिकारी एस सुंदरम को भी जवाब-तलब के लिए 10 जून को बुलाया है.
एफआईआर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 ए (नागरिकों के किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को भड़काना), 500 (मानहानि), 505(2) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया गया है.
19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को मुंबई पुलिस से लेकर सीबीआई को देने से इंकार कर दिया था.
पहले की तफ्तीश
अप्रैल में, मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर टिप्पणियों से संबंधित एक मामले के सिलसिले में मुंबई के एनएम जोशी पुलिस स्टेशन में 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी.
शिकायत के अनुसार, गोस्वामी ने सोनिया गांधी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया और महाराष्ट्र के पालघर की एक घटना के बारे में रिपब्लिक टीवी पर एक बहस के दौरान ‘भड़काऊ बयान’ दिया जिसमें दो साधुओं और उनके ड्राइवर को भीड़ द्वारा लिंच किया गया था.
यह शिकायत मूल रूप से नागपुर पुलिस के पास दर्ज की गई थी, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे मुंबई के एनएम जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया.
मई में, सुप्रीम कोर्ट ने इसी तर्ज पर कई राज्यों में गोस्वामी के खिलाफ दायर कई एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया था. यह भी कहा था कि इस मामले में कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती. हालांकि, शीर्ष अदालत ने नागपुर पुलिस स्टेशन में जो पहली प्राथमिकी दर्ज की गई और जिसे बाद में मुंबई पुलिस को सौंपा गया, उसे सही ठहराया और उसे जारी रखने को कहा.