धनबाद। ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) की गोड्डा स्थित राजमहल खदान में 29 दिसंबर 2016 को हादसे में 23 ठेका श्रमिकों की मौत हो गई थी। इसकी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी पूरी कर ली गई है और रिपोर्ट श्रम मंत्रालय को भेजी गई है। इसमें मरने वाले ठेका कर्मियों के आश्रितों को पर्याप्त मुआवजा, पेंशन व ग्रेच्युटी देने की अनुशंसा की गई है।

श्रम मंत्रालय ने 16 जुलाई 2019 को कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का गठन किया था। इसी वर्ष 12 अगस्त को सुनवाई पूरी हुई। चेयरमैन पूर्व सचिव रश्मि शर्मा व सदस्य हिंद मजदूर सभा के जावेद अख्तर उस्मानी व पूर्व मुख्य खान निरीक्षक रवींद्र शर्मा ने एक साल तक सुनवाई के बाद रिपोर्ट तैयार की। इस हादसे में 4.60 करोड़ रुपये का ही मुआवजे के रूप में भुगतान हुआ था। इस पर कमेटी ने नाराजगी जता पर्याप्त मुआवजा देने की बात कही है।

51 ने दी गवाही, 16 ने शपथपत्र : कोल इंडिया के तत्कालीन डीटी व सीएमपीडीआइएल के सीएमडी शेखर शरण, डब्ल्यूसीएल के प्रभारी सीएमडी आरआर मिश्रा, प्रभारी डीटी बीएन शुक्ला सहित डीजीएमएस धनबाद के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर वीपी सिंह, पूर्व एसईसीएल के कार्मिक निदेशक जेएन सिंह, सेफ्टी बोर्ड सदस्य व पूर्व महाप्रबंधक आरके शर्मा समेत यूनियन व कर्मचारियों को मिलाकर 51 लोगों ने गवाही दी। 16 ने शपथपत्र के जरिए बयान दिया। मृत कर्मियों के परिजनों के बयान दर्ज नहीं हो सके।

सिंफर की अनुशंसा नजरअंदाज

इंक्वायरी में एसेसर के रूप में शामिल सिंह मजदूर सभा के जावेद उस्मानी ने बताया कि कोयला कंपनियों को ओबी डंप सहित अन्य स्लोप सिस्टम की जांच के लिए स्लोप स्टडी सिस्टम मशीन खरीदने की अनुशंसा सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (सिंफर) की ओर से की गई थी। मशीन की कीमत आठ करोड़ थी। इस प्रस्ताव को रद कर दिया गया। नतीजा कंपनी को मुआवजे के साथ साथ 50 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। इंसानी जान भी गई। ईसीएल के तत्कालीन तकनीकी निदेशक बीएन शुक्ला, महाप्रबंधक एसके सिंह, एजेंट डीके नायक, प्रबंधक प्रमोद कुमार सहित 16 लोगों पर सात मार्च को गोड्डा न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया।

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