कोरबा (आईपी न्यूज)। कोरबा जिले में 8 जनवरी की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को लेकर श्रमिक संगठनों ने कमर कस ली है। इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस सहित अन्य श्रमिक संगठन हड़ताल को लेकर एक मंच एकजुट हुए हैं। कोरबा जिले के श्रमिक नेताओं ने कहा है कि कोयला खदानों में उत्पादन और डिस्पैच पूरी तरह ठप कर दिया जाएगा। पावर सेक्टर में भी हड़ताल सफल होगी।
रविवार को एटक से दीपेश मिश्रा, सीटू से व्हीएम मनोहर सीटू, इंटक से विकास सिंह इंटक, एचएमएस से ए विश्वास सहित अन्य श्रमिक संगठनों के नेताओं ने कोरबा प्रेस क्लब में मीडिया से चर्चा की। श्रमिक नेताओं ने हड़ताल को सफल करने की रणनीति से अवगत कराया। बताया गया कि हड़ताल में रेलवे को छोड़कर देश के सभी सरकारी व गैर सरकारी कामगार शामिल रहेंगे। देष के सभी सार्वजनिक व निजी उपक्रम के कर्मी भी हड़ताल में हिस्सा लेंगे। कोयला, रक्षा, तेल, हवाई सेवा, बंदरगाह, इस्पात, सीमेंट, पेट्रोलियम के साथ-साथ राज्य सरकारों के अंतर्गत सभी सरकारी व निजी प्रतिष्ठानों के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल होकर मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराएंगे। देश की अर्थव्यवस्था मंदी के गहरे संकट में फंस रही हैं। उसका बुरा असर असंगठित एवं संगठित क्षेत्र के मजदूरों को छंटनी और बंदी के रूप में प्रतीत हो रहा है। सरकार ने मंदी पर ईलाज के बहाने कार्पोरेट टैक्स 1.45 लाख करोड़ तक घटा दिया है, लेकिन नौकरी की सुरक्षा व बेरोजगारी भत्ते के लिए एक भी पैसा खर्च नहीं किया। देश भर में कार्यरत सभी प्रमुख श्रमिक संगठन एक तरफ मांग कर रहे हैं कि न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपए प्रतिमाह हो, पेंशन सभी को मिले, नई पेंशन योजना जो घोर मजदूर विरोधी है, उसे रद्द कर पुराने पेंशन योजना चालू रखी जाए। महंगाई पर रोक लगान के लिए वितरण प्रणाली को मजबूत करने के साथ-साथ नई नौकरियां सृजित की जाए। खाली पड़े सरकारी पदों को भरा जाए। ठेका मजदूरों को नियमित कर उन्हें समान काम समान वेतन प्रदान किया जाए। असंगठित मजदूरों को कल्याणकारी मंडल सक्षम किया जाए। खेती व्यवस्था तथा मनरेगा के लिए बजट में समुचित प्रावधान किया जाए। 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को इजाजत देना, सार्वजनिक बैंकों को विलीनीकरण करना घातक है। इससे मजदूरों को जबरदस्त छंटनी का सामना करना पड़ेगा। शोषण और भी बढ़ेगा। इसी तरह अब सरकार पीएफ और ईएसआई योजनाओं में मालिक वर्ग को जो चंदा देना पड़ता है उसे घटाने का प्रस्ताव ला रही है। इसके समर्थन में सरकार बार-बार यह कह रही है कि मजदूरों के हाथ में ज्यादा पैसा आए इसलिए सरकार यह कदम उठा रही है जबकि वास्तव में इससे मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा पर विपरित असर पड़ेगा। उन्होंने उग्र राष्ट्रवाद की भावना फैलाकर देश के सभी वर्गों की एकता में दरार डालने का आरोप भी केन्द्र सरकार पर लगाया है।
बीएमएस का दोहरा चरित्र नहीं चलेगा
संयुक्त श्रम संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रव्यापी हड़ताल को भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने समर्थन नहीं दिया है। बीएमएस मजदूरों के हित की बात करता हैं इसके लिए न तो वह खुद आंदोलन करता है और न ही संयुक्त मोर्चा को समर्थन देता है। केन्द्र सरकार से नजदीकी रिश्तों के कारण हड़ताल में शामिल होने का साहस बीएमएस नहीं जुटा पा रहा है। जबकि केन्द्र में जब कांग्रेस की सरकार थी तो इंटक ने श्रम विरोधी नीतियों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। बीएमएस का दोहरा चरित्र नहीं चलेगा। राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर उसे अपना स्टैण्ड साफ करना चाहिए।