लखनऊ/नोएडा/नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 19 साल की एक दलित युवती के साथ कथित तौर हुए सामूहिक बलात्कार और फिर के नई दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत के विरोध में न्याय की मांग को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में बृहस्पतिवार को विरोध प्रदर्शन जारी रहा.
बृहस्पतिवार दिन में हाथरस जिले में पीड़ित परिवार से मिलने के लिए जा रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश पुलिस ने रास्ते में ही रोककर हिरासत में ले लिया. राहुल गांधी के साथ पुलिस द्वारा कथित तौर हाथापाई करने का मामला भी सामने आया है.
बीते बुधवार को युवती के परिवारवालों ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने मंगलवार (29 सितंबर) देर रात बिना उनकी मंजूरी के जबरन उसका अंतिम संस्कार कर दिया था. वहीं, बृहस्पतिवार को हाथरस के डीएम द्वारा कथित तौर पर पीड़ित परिवार को धमकाने का एक वीडियो सोशल मीडिया में सामने आया है.
इतना ही नहीं एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि मृत युवती के साथ बलात्कार नहीं किया गया है.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए 22 सेकेंड के इस कथित वीडियो में हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार मृतक युवती के पिता से कहते नजर आ रहे हैं, ‘आप अपनी विश्वसनीयता खत्म मत करिए. मीडियावालों के बारे में मैं आपको बता दूं कि आज अभी आधे चले गए. कल सुबह तक आधे और निकल जाएंगे. दो-चार बचेंगे कल शाम तक.’
यूपी सरकार किसी को पीड़िता के गांव जाने से क्यों रोक रही है उसका जवाब यहां है?
पीड़िता के परिवार को हाथरस डीएम जाकर धमका रहे हैं।
न मीडिया जा पायेगा, न हम लोग तो यूपी सरकार पीड़िता के परिवार को खुलकर धमका पाएगी।
ये लोग अत्याचारी हैं। pic.twitter.com/RDV2jrQfRn
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 1, 2020
वे आगे कहते नजर आ रहे हैं, ‘तो हम ही आपके साथ खड़े हैं. अब आपकी इच्छा है कि आपको बार-बार बयान बदलना है, नहीं बदलना हैं. अभी हम भी बदल जाएं…’
इस वीडियो के सामने आने के बाद मामले की जांच कर रही पुलिस और जिला प्रशासन सवालों को घेरे में हैं. सोशल मीडिया पर उनकी जांच को लेकर संदेह जताते हुए तमाम पोस्ट किए जा रहे हैं.
बहरहाल इस वीडियो के सामने आने के बाद समाचार चैनल इंडिया टुडे/आज तक की टीम ने इस संबंध में जानकारी के डीम से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
मालूम हो कि 19 वर्षीय युवती से बीते 14 सितंबर को कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था. इसके अलावा उनके साथ बुरी तरह मारपीट भी की गई थी. उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आई थीं. आरोपियों ने उनकी जीभ भी काट दी थी. उनका इलाज अलीगढ़ के एक अस्पताल में चल रहा था. करीब 10 दिन के इलाज के बाद उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
घटना के 9 दिन बीत जाने के बाद 21 सितंबर को युवती होश में आईं तो अपने साथ हुई आपबीती अपने परिजनों को बताई. इसके बाद 23 सितंबर को उन्होंने पुलिस के समक्ष बयान दिया था.
पीड़िता पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं.
आरोप है कि युवती के ही गांव के सवर्ण जाति के चार लोगों ने उनके साथ बलात्कार किया था. युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20), उसके चाचा रवि (35) और दोस्त लवकुश (23) तथा रामू (26) को गिरफ्तार किया गया है. उनके खिलाफ गैंगरेप और हत्या के प्रयास के अलावा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारक अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मामले के तूल पकड़ने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है. इसे सात दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है.
बृहस्पतिवार दिन में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एक बयान जारी कहा गया कि मामले की जांच के लिए एसआईटी से कराने के फैसले पर युवती के पिता संतुष्ट हैं. दिन में मुख्यमंत्री ने युवती के पिता से बात कर उन्हें सांत्वना दी थी.
हालांकि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा है, ‘हाथरस की बेटी के पिता का बयान सुनिए. उन्हें जबरदस्ती ले जाया गया. सीएम से वीसी के नाम पर बस दबाव डाला गया. वो जांच की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं. अभी पूरे परिवार को नजरबंद रखा है. बात करने पर मना है. क्या धमकाकर उन्हें चुप कराना चाहती है सरकार? अन्याय पर अन्याय हो रहा है.’
इस बीच इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं. न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव, पुलिस प्रमुख, अतिरिक्त डीजीपी, हाथरस के डीएम और एसपी को तलब किया है.
युवती से नहीं हुआ बलात्कार: अपर पुलिस महानिदेशक
उत्तर प्रदेश पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि हाथरस कांड में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ बलात्कार नहीं हुआ था.
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने लखनऊ में कहा कि दिल्ली के एक अस्पताल के मुताबिक दलित युवती की मौत गले में चोट लगने और उसके कारण हुए सदमे की वजह से हुई थी.
उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट से भी यह साफ जाहिर होता है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि वारदात के बाद युवती ने पुलिस को दिए गए अपने बयान में भी अपने साथ बलात्कार होने की बात नहीं कही थी. उन्होंने कहा कि उसने सिर्फ मारपीट किए जाने का आरोप लगाया था.
इससे पहले हाथरस के पुलिस अधीक्षक से जब यह पूछा गया था कि घटना के 12 दिन हो गए हैं, युवती की मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई है या नहीं. तो उन्होंने बात को टालते हुए कहा था, ‘मेडिकल रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में है, अभी उसे देखा नहीं गया है लेकिन हमने आरोपियों के खिलाफ सामूहिक बलात्कार की धारा मामले में जोड़ दी है.’
एडीजी प्रशांत कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने और जातीय हिंसा भड़काने के लिए कुछ लोग तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने हाथरस मामले में तुरंत कार्यवाही की और अब हम उन लोगों की पहचान करेंगे जिन्होंने माहौल खराब करने और प्रदेश में जातीय हिंसा भड़काने की कोशिश की.’
अपर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के लिए विशेष अनुसंधान दल गठित किया. इस घटना में जो लोग भी शामिल हैं उन्हें कतई बख्शा नहीं जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘मेडिकल रिपोर्ट आने से पहले ही सरकार के खिलाफ गलत बयानी की गई और पुलिस की छवि को खराब किया गया. हम पड़ताल करेंगे कि यह सब किसने किया. यह एक गंभीर मामला है और सरकार तथा पुलिस महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को लेकर बेहद संजीदा है.’