मुंबई। Vedanta के अनिल अग्रवाल ने ऐलान किया वे Vedanta को भारतीय बाजारों से डिलिस्ट (delist) करने की तैयारी में हैं। इसके लिए प्रोमोटर ग्रुप  Vedanta Resources 87.5 रुपये प्रतिशेयर के भाव पर गैर प्रोमोटरों के 48.94 फीसदी शेयर खरीदेगी। ये प्रस्तावित भाव 11 मई के क्लोजिंग मार्केट प्राइस से 9.9 फीसदी ज्यादा है।

स्टॉक एक्सचेंजों के पास उपलब्ध ताजे आंकड़ों के मुताबिक कंपनी में प्रोमोटरों की हिस्सेदारी 50.14 फीसदी  है। 11 मई को Vedanta के शेयरों में 12 फीसदी से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली। 11 मई की क्लोजिंग प्राइस के मुताबिक Vedanta का वर्तमान मार्केट कैपिटलाइजेशन 33,194 करोड़ रुपए है।

क्यों लिया गया ये फैसला?

Vedanta group पिछले कई सालों से corporate simplification करने की प्रक्रिया में हैं। इस प्रक्रिया के तहत ही 2012 में Sesa-Sterlite (इसे बाद में Vedanta नाम दिया गया ) नाम की कंपनी बनाने के लिए Sterlite को Sesa Goa के साथ मर्ज किया गया,  2016 में Cairn का Vedanta में मर्जर किया गया और फिर 2018 में Vedanta Resources की डीलिस्टिंग की गई।

Vedanta group का मानना है कि Vedanta की डिलिस्टिंग कंपनी के corporate simplification की कोशिशों का अगला पड़ाव है। ऐसा होने पर कंपनी के कारोबार को ज्यादा अच्छी तरह से चलाया जा सकेगा। कंपनी अलग-अलग तरह के  खनिजों के कारोबार में अपनी लीडरशिप बनाए रखने पर फोकस कर रही है। डिलिस्टिंग की ये तैयारी इसी दिशा में उठाया गया कदम है।

ये प्रस्तावित डिलिस्टिंग ऑफर वेदांता के पब्लिक शेयर होल्डर्स को उतार-चढ़ाव और अनिश्चितता से भरे इस बाजार में अपने शेयरों को एक निश्चित भाव पर बेचकर निकलने का मौका दे रहा है। इस ऑफर की प्राइस का निर्धारण रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया से की जाएगी।

इस डिलिस्टिंग से Vedanta group के कैपिटल और ऑपरेशनल स्ट्रक्चर में एकरूपता लाने में सहायता मिलेगी। इससे Vedanta group को अपने डेट रिडक्शन  प्रोग्राम में भी
सहूलियत मिलेगी और दीर्घावधि में कंपनी के कारोबार में ग्रोथ देखने को मिलेगी।

Vedanta Resources की डिलिस्टिंग

इससे पहले जुलाई 2018 में अनिल अग्रवाल ने ये कहते हुए London Stock Exchange से Vedanta Resources को डिलिस्ट कराने का एलान किया था कि अब ये जरूरी नहीं लगता कि कंपनी को पूंजी जुटाने के लिए लंदन लिस्टिंग जरूरी है। 1 अक्टूबर 2018 को   Vedanta Resources को London Stock Exchange से डिलिस्ट करवा लिया गया था। 2003 में London Stock Exchange पर लिस्ट होने वाली Vedanta Resources पहली भारतीय कंपनी थी।

गौरतलब है कि 24 मार्च को Moodys Investors Service ने Vedanta की पैरेंट कंपनी Vedanta Resources की रेटिंग डाउनग्रेडिंग के लिए समीक्षाधीन कर दी है। Moodys Investors Service की राय है कि तेल और मेटल की गिरती कीमतों और कोरोना के कहर के चलते गिरती मांग के मद्देनजर कंपनी के कारोबार पर दबाव देखने को मिलेगा।

कंपनियां डिलिस्टिंग का विकल्प क्यों अपनाती हैं?

आमतौर पर कंपनियां डिलिस्टिंग का विकल्प तब अपनाती हैं जब वो कंपनी का विस्तार करना चाहती हैं या पुनर्गठन करना चाहती हैं, या कोई दूसरी कंपनी उनका अधिग्रहण कर लेती है या प्रोमोटर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं। कंपनियां अपने शेयरों को स्टॉक एक्सचेंजों से स्वैच्छिक रुप से डिलिस्ट करने के लिए पब्लिक शेयर होल्डर्स के शेयरों को बाजार भाव से ज्यादा भाव खरीदने का प्रस्ताव रखती हैं।

Vedanta के इस  ऑफर के लिए JP Morgan को financial advisor नियुक्त किया गया है। वहीं, Latham & Watkins and Khaitan & Co को लीगल एडवाइजर बनाया गया है।

 

 

source : moneycontrol

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