नई दिल्ली: अहमदाबाद सिविल अस्पताल के एक चिकित्सा अधिकारी द्वारा कथित रूप से तैयार की गई एक रिपोर्ट की सच्चाई का पता लगाने के लिए गुजरात हाईकोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है. इस रिपोर्ट में अहमदाबाद के कोविड-19 अस्पतालों के खिलाफ कई शिकायतें की गईं हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त समिति में अहमदाबाद नगर निगम द्वारा संचालित एसवीपी हॉस्पिटल के जनरल मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अमी पारिख और आपातकालीन मेडिसिन के प्रमुख डॉ. अद्वैत ठाकोर तथा अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में प्रोफेसर (मेडिसिन) डॉ. बिपिन अमीन शामिल हैं.
रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘इस स्तर पर हम स्पष्ट कर सकते हैं कि उपर्युक्त रिपोर्ट की कोई प्रामाणिकता नहीं है. हालांकि इसके साथ ही हम इस तथ्य पर ध्यान देते हैं कि रिपोर्ट में बहुत महत्वपूर्ण चीजें शामिल हैं.’
पिछले दो सप्ताह से सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा रही एक विस्तृत 22-सूत्रीय रिपोर्ट में कहा गया है कि इन अस्पतालों में आवश्यक दवाओं की भारी कमी है और आरोप लगाया गया है कि कोविड-19 विशिष्ट उपचार प्रोटोकॉल की कमी के कारण मरीजों के प्रबंधन में भेदभाव किया जा रहा है.
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि मेडिसिन विभाग के स्तर पर अधिकारी मरीजों के हित में कार्य करने में बुरी तरह से विफल रहे हैं और विभिन्न प्रकार के मुद्दों के बारे में निवासी डॉक्टरों द्वारा कई शिकायतें करने का भी कोई असर नहीं पड़ा है.
गुजरात देश में सबसे ज्यादा कोरोना मौतों वाले राज्यों में से एक है, जिसमें से सिविल अस्पताल में 377 मौतें हुई हैं जो कि राज्य की कुल मौतों का लगभग 45 फीसदी है.
कोरोना महामारी के संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस जेएन पर्दीवाला और इलेश वोरा की पीठ ने राज्य सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए.
बीते शुक्रवार को कोर्ट ने राज्य के अस्पतालों की बेहद खराब स्थिति को लेकर विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली भाजपा राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की और अहमदाबाद के सिविल अस्पताल को ‘एक कालकोठरी जितना अच्छा, या इससे भी बुरा’ बताया.