सरकार ने आधार (Aadhaar) और वोटिंग कार्ड (Voting Card) को लिंक करने की अनुमति दे दी है। केंद्रीय कानून मंत्री ने इस प्रक्रिया को हरी झंडी दिखा दी है। चुनाव आयोग (Election Commision of India) ने यह प्रपोजल रखा था। चुनाव आयोग ने कहा था कि 12 नंबर वाले आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को लिंक करने के लिए उसे कानूनी अधिकार चाहिए। चुनाव आयोग का कहना था कि ऐसा करने से फर्जी वोटरों पर लगाम लगाई जा सकेगी।
IE की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वोटर आईडी लिस्ट के पुराने और नए लोगों को अपने आधार कार्ड का नंबर शेयर करना होगा। हालांकि प्रस्तावित संशोधन में यह साफ कहा गया है कि अगर कोई आधार कार्ड नंबर नहीं देता है तो उसे वोटर लिस्ट में शामिल होने से नहीं रोका जा सकता और ना ही उसकी डिटेल हटाई जाएगी।

चुनाव आयोग के प्रस्ताव पर मुहर लगाने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि इन आंकड़ों को हैक, कॉपी या फिर चोरी से बचाने के लिए चुनाव आयोग पर्याप्त कदम उठाएगा।

क्यों पड़ी जरूरत?

अगस्त 2019 में चुनाव आयोग ने लॉ सेक्रेटरी को पत्र लिखकर आधार एक्ट, 2016 और रीप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट में बदलाव करने को कहा था। चुनाव आयोग ने कहा था कि इस संशोधन के बाद उसे आधार और वोटर आईडी को लिंक करने का कानूनी अधिकार होगा।

चुनाव आयोग के पत्र का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सितंबर में कहा था कि चुनाव आयोग की डिमांड सुप्रीम कोर्ट के बेंचमार्क टेस्ट को पास करती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए आधार अनिवार्य है। इसके अलावा भी आधार मांगा जा सकता है लेकिन वह अनिवार्य नहीं होगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसमें आधार की गोपनीयता सुरक्षित रखने को कहा था।

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