ईपीएफ योगदान पुरानी कर दर Vs नई कर दर
1) मौजूदा आयकर कानूनों के तहत, नियोक्ता द्वारा किसी कर्मचारी के ईपीएफ खाते में किसी मान्यता प्राप्त भविष्य निधि या ईपीएफ में 12% तक का योगदान कर-मुक्त है। यदि यह 12% से अधिक है तो यह कर योग्य हो जाता है। यह प्रावधान नए के साथ-साथ पुरानी कर दरों के समान ही रहेगा।
2) आयकर की धारा 80 सी के तहत 12% तक के ईपीएफ के लिए आपका योगदान कटौती योग्य है। यह पुरानी कर दर के तहत जारी रहेगा, लेकिन अगर आप नए स्लैब का विकल्प चुनते हैं तो आप धारा 80 सी के तहत कटौती का दावा करने के पात्र नहीं होंगे।
3) बजट 2020 में प्रस्तावित एक और आयकर नियम में एनपीएस, सुपरनेशन फंड और ईपीएफ की में नियोक्ता का योगदान एक वर्ष में 7.5 लाख से अगर अधिक होगा तो यह कर योग्य होगा। यह नई और पुरानी दोनों टैक्स दरों के तहत लागू होगा।
कर योग्य आय का स्लैब (रुपये में) | आय कर की वर्तमान दरें | नई कर दरें |
0-2.5 लाख | छूट | छूट |
2.5-5 लाख | 5 प्रतिशत | 5 प्रतिशत |
5-7.5 लाख | 20 प्रतिशत | 10 प्रतिशत |
7.5-10 लाख | 20 प्रतिशत | 15 प्रतिशत |
10-12.5 लाख | 30 प्रतिशत | 20 प्रतिशत |
12.5-15 लाख | 30 प्रतिशत | 25 प्रतिशत |
15 लाख से ऊपर | 30 प्रतिशत | 30 प्रतिशत |
ध्यान देने वाली बात ये है कि यदि आप नई आयकर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं तो धारा 80 सीसीडी (2) के तहत एनपीएस में कर्मचारी के खाते में नियोक्ता के योगदान सहित कुछ कटौती अभी भी प्राप्त की जा सकती है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए यह सीमा वेतन का 14% है और अन्य के लिए यह 10% है। यदि उनके संगठन अनुमति देते हैं तो कर्मचारी इस कर कटौती का विकल्प चुनने के लिए अपने salary structure का पुनर्गठन कर सकते हैं।
(स्रोत PIB )