कोरबा (IP News). इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. जी संजीवा रेड्डी ने कहा कि चार नए लेबर कोड के लागू हो जाने के बाद मजदूर कंपनी मालिकों के गुलाम बन जाएंगे और ट्रेड यूनियन का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। डा. रेड्डी ने दावा किया कि भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सदस्यता के मामले में इंटक नम्बर एक यूनियन है। इंटक की सदस्य संख्या तीन करोड़ 30 लाख है।
बुधवार को छत्तीसगढ़ के कोरबा प्रवास पर आए इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि मोदी सरकार मजदूरों के अधिकारों का खत्म करने पर तुली हुई है। नए लेबर कोड बिल के लागू हो जाने के बाद सरकार और मालिक जो कहेंगे वही होगा। यहां तक की लेबर कोर्ट को भी कमजोर किया जा रहा है। अब कोर्ट में जज के साथ सरकार द्वारा नामित व्यक्ति भी रहेगा। डा. रेड्डी ने कहा कि केन्द्र सरकार इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेशन (ILO) के एग्रीमेंट के विपरित काम कर रही हैै। आईएलओ के अनुसार सरकार, कंपनी और मजूदरों के प्रतिनिधत्व संगठन से चर्चा किए किए बगैर कोई भी श्रम कानून नहीं बनाया जा सकता। इसकी अनदेखी कर मजदूरों के सारे हकों को मारा जा रहा है। मजदूरों और यूनियन को बकरा बना कसाई के हवाले किया जा रहा है।
डा. रेड्डी ने बताया कि सरकार ने एक साल पहले सभी यूनियन से सदस्यता का रिकार्ड दाखिल करने कहा। इंटक ने रिकार्ड के साथ 3.30 करोड़ सदस्यता की जानकारी दी थी। सरकार के वेरीफिकेशन में जब इंटक की सदस्यता का आंकड़ा एक करोड़ को पार कर गया तो इसे रोेक दिया गया। इसकी वजह बीएमएस की इंटक से कम सदस्यता थी। बीएमएस को बचाने के लिए ऐसा किया गया। वेरिफिकेशन का मामला आज भी रूका हुआ है। इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने केन्द्र सरकार पर जमकर भड़ास निकाली और कहा कि डा. रेड्डी मजदूरों की ताकत से जिंदा है न की मोदी की ताकत से। सियासी ताकत का इस्तेमाल कर आवाज और विरोध को दबाने का काम कर रही है मोदी सरकार। प्रजा की किसी भी बात को सुनने को तैयार नहीं है केन्द्र की सरकार। डा. रेड्डी ने कहा कि देश में लोकतंत्र का मर्डर हो चुका है।
ट्रेड यूनियन कर रहे निजीकरण का विरोध
डा. रेड्डी ने कहा कि विनिवेश- निजीकरण का सभी ट्रेड यूनियन विरोध कर रहे हैं। इसके लिए आॅल इंडिया ट्रेड यूनियन कोआर्डिनेशन कमेटी बनाई गई है। इसमें इंटक सहित सीटू, एटक, बीएमएस, एचएमएस व अन्य यूनियन सम्मिलित हैं। वे इस कमेटी के चेयरमेन हैं। कुछ नाराजगी के कारण बीएमएस इससे बाहर हो गया था, लेकिन कमेटी में फिर से शामिल होने बीएमएस नेे पत्र लिखा है। केन्द्र सरकार पब्लिक सेक्टर से लेकर सभी सरकारी कंपनियों का निजीकरण कर पैसा जुटाना चाहती है। कोल सेक्टर में पिछले दरवाजे यानी आनलाइन तरीके से यह काम किया जा रहा है। कमर्शियल माइनिंग से कितना प्रोडक्शन होगा, कितनी शांति रहेगी, कमर्चारियों का क्या होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। रेलवे का निजीकरण रोकने के लिए यहां के दो अन्य फेडरेशन को साथ लाया जा रहा हैै। इंटक अध्यक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा कि आने वाले समय में आप केवल शादी ही अपनी मर्जी कर सकेंगे। बाकी सब कुछ सरकार की मर्जी सेे होगा।
इंटक में कोई गुटबाजी नहीं
डा. रेड्डी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि इंटक में कोई गुटबाजी नहीं है। कोल इंडिया लिमिटेड और इसकी अनुषांगिक कंपनियों द्वार गठित समितियों में इंटक के बाहर होने के प्रश्न पर डा. रेड्डी ने राजनयिक तरीके से जवाब दिया कि ये राजनीति की वजह से हुआ। उन्होंने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें ही इंटक का अध्यक्ष माना है। इंटक के सारे असेट हमारे पास हैं, यहां तक की 30 करोड़ रुपए की एफडी भी। कोल इंडिया को कोर्ट के आदेश के मानना चाहिए। हालांकि केन्द्रीय श्रम मंत्री द्वारा बैठकों में इंटक को आंमत्रित किया जा रहा है। डा. रेड्डी ने कहा कि सीआईएल का नया वेज बोर्ड बनाने की मांग की जा रही है। इंटक के बगैर इसका गठन किया गया तो हम कोर्ट की शरण लेंगे।