नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया का बिजली क्षेत्र के लिये विशेष ई-नीलामी के जरिये कोयले का आबंटन चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 28.7 प्रतिशत घटकर 47.4 लाख टन रहा। कोयला मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार कोल इंडिया लि. (सीआईएल) ने पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 66.5 लाख टन कोयले का आबंटन किया था। योजना के तहत महारत्न कंपनी का कोयला आबंटनपिछले महीने 6.4 लाख टन रहा जो एक साल पहले 2019 के जून महीने में 8.8 लाख टन था। ई-नीलामी (फारवर्ड) के जरिये कोयले का वितरण का मकसद उन ग्राहकों को कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करनी है जो लंबी अवधि (एक साल) तक ईंधन की निश्चित आपूर्ति चाहते हैं ताकि वे उसी हिसाब से परिचालन की योजना बना सके। योजना का मकसद सभी कोयला ग्राहकों को एकल खिड़की व्यवस्था के जरिये स्वयं की खपत के लिये ईंधन की खरीद को लेकर समान अवसर उपलब्ध कराना है।
इस व्यवस्था में दाम का निर्धारण ‘ऑनलाइन’ बोली के जरिये होता है। कोल इंडिया बिजली क्षेत्र को कोयले की प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। कोविड-19 संकट का असर कोल इंडिया पर पड़ा है। इसके कारण कोयले की मांग और आपूर्ति प्रभावित हुई है। कंपनी ने हाल ही में कहा था कि जुलाई-सितंबर तिमाही में भी स्थिति अनिश्चित बनी रहेगी क्योंकि कुछ राज्यों ने फिर से ‘लॉकडाउन’ लगाया है। सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया ने एक से 16 जुलाई केदौरान 1.805 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया जो एक साल पहले 2019 में इसी अवधि में 1.961 करोड़ टन था।