1. बैंकों का विलय: 1 अप्रैल से देश के 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाए जाएंगे। यह देश के वित्तीय क्षेत्र का सबसे बड़ा विलय होगा। अगर आपका खाता इन बैंकों में है तो आपको कुछ बदलावों की सूचना अपने बिलों/ किस्तों को काटने वाले बैंकों को देनी होगी।
2. नया आयकर नियम: 1 अप्रैल 2020 से आयकर के नए सिस्टम को लागू कर दिया जाएगा। नए सिस्टम में खास बात होगी कि बिना कोई बचत किए भी करदाता छूट प्राप्त कर सकेगा। हालांकि, ये पूरी तरह से वैकल्पिक व्यवस्था होगी।
3. विदेश जाना महंगा होगा: 1 अप्रैल से सरकार विदेश यात्रा के कुल पैकेज पर स्रोत पर एकत्रित कर (टीसीएस)लगाएगी। वित्त वर्ष 2020-21 की शुरुआत से विदेश यात्रा पर पांच फीसदी टैक्स चुकाना पड़ सकता है।
4. नया जीएसटी रिटर्न फॉर्म: जीएसटी परिषद की 31वीं बैठक में एक अप्रैल से नया जीएसटी रिटर्न फॉर्म लाने पर फैसला हुआ था। नया फॉर्म काफी सरल होगा और रिटर्न भरने में आसानी होगी।
5. नए वाहन नियम: एक अप्रैल से देश में सिर्फ बीएस-6 मानक वाले वाहन ही बिकेंगे। हालांकि, कोरोना संकट के चलते सुप्रीम कोर्ट ने बीएस-4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन अप्रैल में सशर्त 10 दिन करने की अनुमति दी है।
6. दवाइयों से जुड़ा नियम: सरकार ने सभी मेडिकल डिवाइस को 1 अप्रैल, 2020 से ड्रग्स घोषित करने का फैसला किया है। नए वित्त वर्ष से ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक की धारा 3 के तहत इंसानों और जानवरों पर इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को औषधि की श्रेणी में रखा जाएगा।
7. बीएस-6 पेट्रोल-डीजल: 1 अप्रैल, 2020 से देशभर में बीएस-6 ग्रेड के पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। इंडियन ऑयल ने इसकी शुरुआत कई शहरों से कर दी है। हालांकि, कीमत पर इसका असर हो सकता है।
8. ज्यादा मिलेगी पेंशन: सरकार ने एम्प्लॉई पेंशन स्कीम (ईपीएस) नियम में बदलाव किया है। इसके तहत जो 26 सितंबर, 2008 से पहले रिटायर हुए करीब 6 लाख लोगों को 1 अप्रैल, 2020 से ज्यादा पेंशन मिलेगी।
9. नए बेंचमार्क पर मिलेगा लोन छोटे और मझोले कारोबारियों को 1 अप्रैल, 2020 से नए मानकों पर कर्ज मिलेगा। कारोबारियों को परिवर्तनशील ब्याज दरों पर दिएजाने वाले सभी नए लोन को 1 अप्रैल से रेपो जैसे बाहरी मानकों से जोड़ा जाएगा। इससे ब्याज दर में कमी आएगी।
10. मोबाइल डाटा महंगा: दूरसंचार कंपनियों ने 1 अप्रैल से मोबाइल डाटा के लिए शुल्क बढ़ाकर न्यूनतम 35 रुपये/जीबी की दर तय करने की मांग की है। यह मौजूदा दर से करीब 7-8 गुना है। अगर सरकार मंजूरी देती है तो इंटरनेट का इस्तेमाल महंगा होगा।