रांची. एनटीपीसी की पकरी बरवाडीह कोल परियोजना में रैयतों को अतिरिक्त पांच लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा मिलेगा. अतिरिक्त मुआवजे की यह राशि 275 करोड़ रुपये होगी. एनटीपीसी और राज्य सरकार के बीच मुआवजा राशि बढ़ाने के मुद्दे पर सहमति बनने के बाद कोयला खनन का काम शुरू हो गया.
गौरतलब है कि भू-अर्जन अधिनियम 2013 के प्रावधानों के अनुरूप मुआवजा भुगतान की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन की वजह से दो सितंबर 2020 से कोयला खनन का काम पूरी तरह ठप हो गया था. परियोजना के बंद रहने की अवधि में सरकार को कुल 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
कोल परियोजना का काम शुरू करने के लिए सरकार के आदेश के आलोक में प्रशासनिक अधिकारियों और एनटीपीसी के अधिकारियों की बीच कई दौर की बातचीत हुई. अंत में एनटीपीसी ने पांच लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने पर सहमति दी, जिसके बाद परियोजना का काम शुरू हुआ.
इस परियोजना के रैयतों को पहले 20 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है. यानी मुआवजा राशि 20 लाख से बढ़ कर 25 लाख रुपये प्रति एकड़ हो जायेगी. एनटीपीसी की इस परियोजना के लिए छह चरणों में कुल 9659.89 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है. इसमें से 5489.77 एकड़ रैयती जमीन है. इसके अलावा 966.89 एकड़ गैर मजरुआ और 3200.23 एकड़ वन भूमि है.
एनटीपीसी की ओर से दी गयी यह दलील
मुआवजा राशि के निर्धारण के मुद्दे पर सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों और एनटीपीसी के अधिकारियों के बीच हुई बातचीत के दौरान एनटीपीसी की ओर से यह दलील पेश की गयी कि रैयतों को पहले दिया जा चुका मुआवजा भू-अर्जन अधिनियम 2013 के प्रावधानों से ज्यादा है.
अगर अलग-अलग गांव के सर्किल रेट और भू-अर्जन अधिनियम के प्रावधानों के तहत मुआवजे की गणना की जाये, तो ग्रामीणों को मिली मुआवजा राशि में से लौटाना होगा. सरकार के अनुरोध पर हर गांव के लिए 20-20 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा राशि तय की गयी थी. जबकि, मुआवजे से जुड़े नियमों परिनियमों के आलोक में किसी भी गांव की जमीन का मुआवजा 20 लाख रुपये प्रति एकड़ नहीं हो रहा था.
समिति का गठन किया गया था
उल्लेखनीय है कि मुआवजे की मांग को लेकर उभरे विवाद को निबटाने के लिए सरकार ने एक प्रंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. लेकिन सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया था.
क्योंकि इसमें समिति के सदस्य के रूप में नामित उपायुक्त और एनटीपीसी के अधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं थे. इसके बाद इस समिति द्वारा रिपोर्ट नहीं दिये जाने के बाद सरकार के स्तर पर ही एनटीपीसी के अधिकारियों से विचार-विमर्श किया गया और मुआवजा बढ़ाने पर सहमति बनने के बाद परियोजना का काम शुरू किया गया.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ये कहा:
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बड़कागांव पकरी-बरवाडीह में एनटीपीसी द्वारा कोयला उत्खनन मामले में कहा है कि बिजली उत्पादन बाधित न हो, इसलिए एनटीपीसी को खनन का आदेश दिया गया है. विस्थापितों व स्थानीय लोगों की कई मांगों पर एनटीपीसी ने सहमति जतायी है. पहले चरण की बातचीत के बाद मुआवजा बढ़ाने, घर शिफ्टिंग और एनयूटी बढ़ाने पर एनटीपीसी सहमत है.
पहले चरण की बैठक में कई रिपोर्ट उभर कर सामने आयी हैं. स्थानीय ग्रामीण की मांग रही है, जो विधायक अंबा प्रसाद सरकार के संज्ञान में लायी हैं. श्री सोरेन ने कहा कि इस क्षेत्र में पहले से खनन कर कोयला रखा गया था. इसमें आग लगने की संभावना थी. आसपास को नुकसान हो सकता था, कोई बड़ी घटना हो सकती थी. इसे देखते हुए उसे निकालने की प्रक्रिया शुरू की गयी. कोयला निकल भी गया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले चरण की बैठक में कई मुद्दों पर सहमति बनी है.