एनटीपीसी बाढ़ थर्मल पावर परियोजना का स्टेज-एक की पहली यूनिट उत्पादन के लिए तैयार हो गई। शिलान्यास के 21 साल बाद इसके सिन्क्रोनाइजेशन (तादात्म्य) का काम पूरा हो गया। साथ ही 36 मेगावाट तक बिजली उत्पादन भी हुआ। अब इस यूनिट का ट्रायल उत्पादन शुरू होगा। तीन माह के भीतर वाणिज्यिक उत्पादन होने लगेगा। इस तरह 90 दिन बाद बिहार को इससे 342 मेगावाट बिजली मिलने लगेगी।
बाढ़ एनटीपीसी में 660 मेगावाट की पांच यूनिट हैं। इनमें स्टेज-2 की दोनों इकाइयों में पहले से उत्पादन शुरू है। बिजली घर की मशीनों के सफल सिंक्रोनाइजेशन के बाद कमिशनिंग और फिर वाणिज्यिक उत्पादन की राह खुलेगी। सिंक्रनाइजेशन प्रक्रिया में प्लांट लोड फैक्टर को देखने के लिए इसे ग्रिड से जोड़ा गया है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के मानकों के अनुसार प्लांट ने काम किया और यह लगातार 72 घंटे तक 660 मेगावाट उत्पादन करने में सफल रहा तो यूनिट के वाणिज्यिक उत्पादन की मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद बिहार को आवंटित 60% कोटे के अनुसार 342 मेगावाट बिजली मिलेगी। मार्च, 2022 के अंत तक तीनों यूनिट चालू हो गई तो बिहार को 1025 मेगावाट बिजली मिलेगी। इस प्लांट से 297 मेगावाट अभी किसी राज्य को आवंटित नहीं है। अनावंटित कोटे से भी बिहार को 60% यानी 175 मेगावाट और बिजली मिल सकेगी।
वर्ष 1999 में हुआ था शिलान्यास
तत्कालीन केंद्रीय मंत्री व मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयास से साल 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बाढ़ बिजली घर की नींव रखी थी। 2000 में रूस की एजेंसी टेक्नोप्रॉम एक्सपोर्ट ने काम शुरू किया पर सात साल में भी परियोजना पूरी नहीं कर सकी। अंतत: 2016 में इसे बनाने का जिम्मा एनटीपीसी को दिया गया।
स्टेज-1 पर्यावरण के अनुकूल
एनटीपीसी की देशभर की सभी इकाइयों में बाढ़ बिजली घर का स्टेज-एक पहला सुपर क्रिटिकल यूनिट है। यह पर्यावरण के अनुकूल है। यूनिट से 90% कोयला जल जाएगा, जिससे धुआं न के बराबर निकलेगा। इसका फ्लाई ऐश लिक्विड में निकलेगा। गीली राख पाइप से प्लांट से 12 किलोमीटर दूर गिरेगी, जिसे सूखते ही ट्रक से बाहर निकाल लिया जाएगा।