सिंगरौली (IP News). भारत सरकार की मिनीरत्न कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड सामाजिक निगमित दायित्व के तहत स्थानीय किसानांे के कौशल विकास एवं आय में बढ़ोतरी के लिए निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही है।
इसके तहत एनसीएल- आईआईटी बीएचयू इंक्यूबेशन सेंटर के सहयोग से आस पास के क्षेत्र में किसानों को जैविक खेती, खाद्य प्रसंस्करण, स्थानीय उपज के मूल्यवर्धन व तैयार उत्पाद को सही स्थान पर बेचने जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
स्थानीय किसान हुए लाभान्वित
एनसीएल- आईआईटी बीएचयू के सहयोग से सिंगरौली जिले के बिरकुनिया गांव के किसानों को जैविक कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण पर एक माह का प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण 10 नवंबर 2020 से प्रारम्भ हुआ था जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय किसानों ने भाग लिया। इस दौरान क्षेत्रीय महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर खाद्य प्रसंस्करण (अचार , मुरब्बा, जैम, जेली, सॉस, चिप्स, पापड़) इत्यादि बनाने का प्रशिक्षण लिया।
जैविक खेती व आय बढ़ाने के सीखे गुर
एक माह के प्रशिक्षण के दौरान किसानों ने जैविक विधि से सब्जियों की खेती और प्रसंस्करण, जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशक बनाना तथा जैविक विधि से खर पतवार एवं कीट प्रबंधन के गुर सीखे।
प्रशिक्षण के दौरान किसानों को रासायनिक उर्वरकों के बिना जैविक विधि से सब्जी उगाना, सुरक्षात्मक वनस्पति नर्सरी संयंत्र का विकास, एकीकृत मॉडल के साथ लाभदायक मौसमी सब्जी उगाना, सब्जी उगाने में आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग, सब्जियों का संरक्षण, उत्पाद की पैकेजिंग, लेवलिंग, ब्रांडिंग व मार्केटिंग तथा स्थानीय उपज के मूल्यवर्धन के गुर सिखाये गए।
किसानों को मुख्यतः मटर, गाजर,पालक,मेथी, धनिया, फूलगोभी, टमाटर, चुकंदर,लोबिया, मुली गेहूं इत्यादि की खेती करने की अत्याधुनिक विधियों में प्रशिक्षित किया गया।
किसान सीख रहे हैं मशरूम की खेती
एनसीएल- आईआईटी बीएचयू इंक्यूबेशन सेंटर के सहयोग से सेमुआर पंचायत में औषधीय और खाद्य मशरूम की खेती तथा प्रसंस्करण पर दो महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
इस कार्यक्रम के तहत ग्राम सेमुआर के 20 ग्रामीणों तथा आईटीआई के 20 छात्रों को प्रशिक्षित कृषकों की एक टीम द्वारा मशरूम की खेती के लिए सेटअप तैयार करने, फसल उगाने और कटाई के बाद के प्रबंधन, भंडारण, विपणन आदि का ऑन साइट प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
महानगरों में बिकेगा जैम, जेली ,मशरूम, अचार व मुरब्बा
यह प्रशिक्षण महज फसलों को उगाने के बारे में नही है बल्कि इसका उद्देश्य इन फसलों की उपज का अधिकतम लाभ किसानों तक पहुंचाना है।
इसीलिए प्रशिक्षण के दौरान किसानों को सिंगरौली व आस पास के क्षेत्र में उत्पादित फल, सब्जियों तथा अन्य फसलों के उत्पाद जैसे जैम, जेली आचार, मुरब्बा, आलू के चिप्स, पापड़, सेवईं आदि बनाकर उनके मूल्य संवर्धन के तरीके सिखाये गए। साथ ही इन उत्पादों को खराब होने से बचाने के तरीकों से भी अवगत कराया गया है।
यह प्रशिक्षण कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों की देख रेख में संपन्न हुआ और साथ ही वीडियो के माध्यम से भी भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रयोग में लाई जा रही विधियों को सिखाया गया।
किसानांे को प्रशिक्षण के साथ ही गृह उद्योग स्थापित करने व व्यापार प्रबंधन पर भी विस्तृत जानकारी दी गयी है द्य साथ ही स्थानीय व महानगरों के बाजार में यहाँ के बने हुए उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था भी की जा रही है।
गौरतलब है की एनसीएल की मुहिम किसान गंगा के अंतर्गत 10 हजार किसानों को कृषि संबंधी विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण देकर सीधे ग्राहकों से जोड़ने का कार्य प्रगति पर है। इसके माध्यम से किसान अपनी फसल व उत्पाद सीधे ग्राहकों तक पहुंचा सकेंगे जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो सकेगी।