कोरबा (IP News). छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित गंगानगर के निवासियों ने अवैध कब्जा बताकर जगह खाली करने का नोटिस थमाए जाने के खिलाफ एसईसीएल गेवरा प्रबंधन का पुतला दहन किया। शनिवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, छत्तीसगढ़ किसान सभा और जनवादी महिला समिति के नेतृत्व में गंगानगर के लोग जुटे। आंदोलन की अगुवाई माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर और सुरती कुलदीप ने की। 22 सितम्बर को पदयात्रा करके एसईसीएल गेवरा मुख्यालय पहुंचकर नोटिस का सामूहिक जवाब दिया जाएगा।
बताया गया है कि गंगानगर एक पुनर्वास ग्राम है, जिसे वर्ष 1980 में एसईसीएल द्वारा ही बसाया गया था। तब घाटमुड़ा की हजारों एकड़ जमीन कोयला खदान के लिए अधिग्रहित की गई थी और यहां के विस्थापित 75 परिवारों को 25 एकड़ का क्षेत्र बसाहट के लिए दिया गया था। उस समय ग्रामीणों ने आपसी सहमति से जमीन का बंटवारा कर लिया था और एसईसीएल ने इसमें कोई दखल भी नहीं दिया था। बंटवारे के बाद सब अपने कच्चे-पक्के मकान बनाकर बची हुई जमीन पर अपने भरण-पोषण के लिए बाड़ियां बनाकर सब्जी उगा रहे है।
अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत पुनर्वास के बाद इस गांव के विकास के लिए जो बुनियादी मानवीय सुविधाएं जैसे अस्पताल, बिजली, पानी, स्कूल, मनोरंजन गृह, श्मशान घाट, गौठान आदि इन पुनर्वासित ग्रामीणों को देना था, वह भी एसईसीएल ने पूरी नहीं की है। चालीस सालों बाद परिवारों की संख्या बढ़कर 200 से ज्यादा हो गई है। लेकिन अब एसईसीएल 25 एकड़ के इस प्लाट पर बसे परिवारों की सब्जी बाड़ियों, बाउंड्री को अवैध कब्जा बता रहा है तथा उसे हटाने की नोटिस दे चुका है। ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल यहां दूसरे गांव के विस्थापितों को जबरन बसाने की कोशिश कर रहा है, जबकि उसकी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे विस्थापितों को मानवीय सुविधाओं के साथ और कहीं बसाने का प्रबंध किया जाए।
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कब्जा हटाने के नोटिस को ही अवैध करार देते हुए कहा है कि यह नोटिस पुनर्वास के नाम पर विस्थापित ग्रामीणों के साथ क्रूर मजाक और धोखा है। उन्होंने कहा कि विस्थापित घाटमुड़ा गांव के लोगों को सामूहिक रूप से 25 एकड़ रकबा देने के बाद इस जमीन पर एसईसीएल का कोई हक नहीं बनता कि किसानों को अवैध कब्जा हटाने की नोटिस दें। उन्होंने मांग की है कि जिस ग्रामीण परिवार की जितनी जमीन पर कब्जा है, उसे उतनी भूमि का अधिकार-पत्र दिया जाए।