कोरबा (IP News). कमर्शियल माइनिंग के लिए “कोयले को खोल देना : आत्मनिर्भर भारत के लिए नई उम्मीदें” शीर्षक के साथ कोयला खानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नीलामी की सूची में शामिल किए गए 41 कोल ब्लॉक में 9 छत्तीसगढ़ में स्थित है। इन 9 में 4 ऐसे ब्लॉक हैं जिसके दायरे में लगभग 90 फीसदी घने वन हैं। इन चारों कोल ब्लॉक को चालू करने का मतलब 25 लाख से भी ज़्यादा वृक्षों की बलि लेना है।
जैवविविधता और सघन वन से परिपूर्ण वाले ये चार कोल ब्लॉक छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिले में स्थित हैं। इन चारों कोल ब्लॉक का कुल क्षेत्रफल 82.10 स्क्वायर किलोमीटर है। 72.73 क्षेत्रफल में सघन वन हैं। 9.37 प्रतिशत हिस्सा ही नॉन फारेस्ट का है। एक जानकारी के अनुसार एक स्क्वायर किलोमीटर एरिया में औसतन 350 वृक्ष हैं। इस लिहाज से 72.73 स्क्वायर किलोमीटर में 25 लाख 45 हजार 550 वृक्षों की मौजूदगी है। यानी कोयला खदानें शुरू हुईं तो इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना पड़ेगा।
आंकड़ों में कोल ब्लॉक एरिया
मोरगा साउथ :
- एरिया – 21. 92 sq km
- फॉरेस्ट एरिया – 21.33 sq km
- नॉन फारेस्ट एरिया – 0.59 sq km
मदनपुर नार्थ :
- एरिया – 21. 03 sq km
- फॉरेस्ट एरिया – 19.39 sq km
- नॉन फारेस्ट एरिया – 1.64 sq km
श्यांग :
- एरिया – 12. 51 sq km
- फॉरेस्ट एरिया – 9.37 sq km
- नॉन फारेस्ट एरिया – 3.14 sq km
मोरगा – 2 :
- एरिया – 26. 64 sq km
- फॉरेस्ट एरिया – 22.64 sq km
- नॉन फारेस्ट एरिया – 4.00 sq km
हाथियों का माइग्रेन रूट होगा प्रभावित
कोल ब्लॉक का इलाका हाथियों का माइग्रेन रूट है। श्यांग कोल ब्लॉक के श्यांग व अमलडीहा एरिया में तो हाथी स्थायी तौर पर विचरण करते हैं। इससे लगे एरिया में लेमरू एलिफेंट रिज़र्व प्रस्तावित है। मोरगा क्षेत्र के जंगल में भी हाथियों का विचरण होता है। कोल ब्लॉक शुरू होने पर हाथी और मानव द्वंद की स्थिति निर्मित होगी। जैवविविधता को भी भारी नुकसान होगा।