कोरबा (IP News). मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की सीजेआई एसए बोबडे के नेतृत्व वाली बेंच ने कमर्शियल माइनिंग से संबंधित याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में चार सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी।

 

 

यह याचिका झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार द्वारा दायर की गई है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिका को एक सप्ताह के लिए स्थगित किया था। अब आगे की सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।

कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ देश के कोयला उद्योग में 2 से 4 जुलाई तक हड़ताल हुई थी। भारी विरोध के बावजूद केंद्र सरकार अपने निर्णय पर अडिग है। श्रमिक संगठनों ने 18 अगस्त को कमर्शियल माइनिंग का टेंडर खुलने के दिन एक दिवसीय स्ट्राइक के ऐलान कर रखा है।

यहां बताना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 18 जून को कमर्शियल माइनिंग के तहत शुरू की गई 41 कोयला ब्लॉकों की वर्चुअल नीलामी की परियोजना को झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय कोयला मंत्रालय द्वारा कोयला खदानों की प्रस्तावित नीलामी पर रोक लगाने की मांग की थी।
झारखंड सरकार ने कहा था कि खोयला खनन का झारखंड और उसके निवासियों की विशाल ट्राइबल आबादी और वन भूमि पर सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव के निष्पक्ष मूल्यांकन की आवश्यकता है। केंद्र के नीलामी के फैसले से इन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।

याचिका में कहा गया था कि COVID-19 के कारण नकारात्मक ‘वैश्विक निवेश के लिए वैसे ही माहौल नहीं हैं। इसी कारण कोयला खनन के लिए की जा रही नीलामी से दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन का उचित रिटर्न प्राप्त करने की संभावना नहीं है।

कोयला मंत्री श्री जोशी ने हेमंत सरकार के विरोध को खारिज कर दिया था।

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