नई दिल्ली। ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने एनआरएमयू मुख्यालय के टीएन वाजपेयी सभागार में आयोजित विशेष कार्यक्रम में रेलकर्मियों ने रक्तदान भी किया. इस मौके पर महामंत्री ने दोहराया कि अगर सरकार सरकार ट्रेनों को प्राईवेट ऑपरेटर को दिए जाने के मुद्दे को बातचीत से हल नहीं करेगी तो फेडरेशन पूरी ताकत से सरकार का विरोध करेगा. उन्होंने कहा कि इस समय भारतीय रेल और कर्मचारियों दोनों के सामने कठिन चुनौती है. सरकार कोई भी हो, सब की नजर भारतीय रेल के निजीकरण पर लगी रहती है, लेकिन एआईआरएफ के सख्त विरोध की वजह से अब तक यह प्रयास सफल नहीं हो सका.
आज कोरोना महामारी के माहौल में जब पूरा देश लाॅकडाउन था, रेलकर्मी जान जोखिम में डालकर मालगाड़ी, पार्सल ट्रेनों का संचालन कर रहे थे, मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में लगे थे तब सरकार ने डीए फ्रिज कर दिया. जब हम उसका विरोध कर रहे थे तभी बड़ी संख्या में पोस्ट सरेंडर की कार्रवाई शुरु कर दी गई, जब हमने इसका विरोध शुरू किया तो सरकार ने अपने गुप्त एजेंडे को बाहर निकाला और कई प्रमुख मार्गों पर प्रीमियम ट्रेनों के संचालन के लिए प्राइवेट ऑपरेटर को आमंत्रित कर दिया. यह वह मौका है जब रेलकर्मचारी कोरोना महामारी के बीच घर परिवार की चिंता किए बिना ट्रेनों का संचालन करने में लगे हुए थे, तब संकट की इस घड़ी को रेल मंत्रालय ने अवसर में बदला और कर्मचारी विरोधी कार्यों को अंजाम दिया. महामंत्री ने कहाकि हम घबराने वाले नहीं है, हम बातचीत का रास्ता बंद नहीं करेगे, लेकिन अपनी मांगों को लेकर पूरी ताकत से लड़ेगें. अगर सरकार बातों से मान गई तो ठीक है, वरना मुकम्मल लड़ाई लड़ी जाएगी.
इस मौके पर एनआरएमयू के अध्यक्ष एसके त्यागी ने सरकार को कथनी और करनी के अंतर पर घेरा. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने रेलकर्मियों को फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स घोषित किया था लेकिन रेल मंत्रालय कोरोना वारियर्स की सुविधाओं से रेलकर्मियों को वंचित कर रहा. कठिन हालात में ड्यूटी के दौरान लगभग 146 रेलकर्मचारियों की मौत हो चुकी है, जिन्हें दूसरे कोरोना वारियर्स की तर्ज पर 50 लाख का एक्सग्रेसिया अभी तक एनाउंस नहीं किया गया. यह दुखद स्थिति है.