मुंबई। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने का फैसला राजभवन से अटका पड़ा है। इसी को लेकर बुधवार को उद्धव ठाकरे ने पीएम नरेंद्र मोदी से फोन पर बात कर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। खबरों के मुताबिक ठाकरे ने पीएम मोदी को बताया कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि गंभीर कोरोना संकट से जूझ रहे महाराष्ट्र जैसे राज्य में राजनीतिक अस्थिरता ठीक नहीं है। उन्होंने पीएम मोदी से इस मामले में दखल देने का अनुरोध किया है।

इसके एक दिन पहले महाराष्ट्र में तीनों दलों के सत्तारूढ़ गठबंधन महा विकास अघाड़ी के नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात कर उनसे अपने कोटे से उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने की एक बार फिर से सिफारिश की थी। इससे पहले भी 9 अप्रैल को राज्य के कैबिनेट ने ठाकरे को परिषद का सदस्य मनोनित करने की राज्यपाल से सिफारिश की थी। लेकिन अब तक राजभवन ने इस पर फैसला नहीं लिया है।

गौरतलब है कि सीएम उद्धव ठाकरे ने बीते साल 28 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन वह उस समय किसी सदन के सदस्य नहीं थे। अब 28 मई को उनके कार्यकाल के छह महीने पूरे होने वाले हैं, जिससे पहले उन्हें राज्य विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना अनिवार्य है।

मंगलवार को उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व में राज्यपाल से मुलाकात करने वाले गठबंधन नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल से इस पर जल्द निर्णय लेने का अनुरोध किया है। मंत्री ने बताया कि इस पर राज्यपाल ने कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर अपने फैसले की जानकारी देंगे।

बता दें कि राज्य में कोरोना महामारी के चलते चुनाव स्थगित हैं, इस कारण ठाकरे द्विवार्षिक चुनाव के जरिये विधान परिषद के सदस्य नहीं बन सकते। अब अगर ठाकरे 28 मई से पहले किसी भी सदन के सदस्य नहीं बन पाते हैं तो उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ेगा। जिससे कोरोना महामारी से गंभीर रूप से जूझ रहे राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा होना तय है।

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