कोरबा (IP News). कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कोल इंडिया के विनिवेश को लेकर मीडिया में आई खबरों को नकार दिया है। इस तरह की खबरें आने के करीब सप्ताहभर बाद गुरुवार का कोयल मंत्री ने ट्वीट किया। इसमें श्री जोशी ने कहा कि कोल इंडिया में विनिवेश किए जाने के बारे में फैल रही खबर पूरी तरह से गलत एवं आधारहीन है। सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। सरकार कोल इंडिया लिमिटेड को और मजबूत करने के कदम लगातार उठा रही है।
@CoalIndiaHQ में विनिवेश किए जाने के बारे में फैल रही खबर पूरी तरह से गलत एवं आधारहीन है। सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। सरकार कोल इंडिया लिमिटेड को और मजबूत करने के कदम लगातार उठा रही है।
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) July 16, 2020
दरअसल आधिकारिक सूत्रों का कहना था कि सरकार कोल इंडिया में अपनी 15 फीसद तक हिस्सेदारी की बिक्री कर सकती है। यह बिक्री ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के रास्ते होगी। शेयर बाजारों में सीआइएल के शेयरों के वर्तमान भाव को देखते हुए इस हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को लगभग 12,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। सूत्रों ने यह भी कहा था कि पूरी प्रक्रिया इस पर निर्भर करेगी कि कोरोना संकट के चलते शेयर बाजारों में अस्थिरता किस तरह बढ़ती है और सीआइएल के शेयरों पर इसका क्या असर पड़ता है।
अगर कंपनी के शेयरों में ज्यादा बड़ी गिरावट देखी गई तो सरकार सीआइएल को ही कह सकती है कि वह उचित भाव पर सरकार की हिस्सेदारी खरीद ले। इस पूरी कवायद का मकसद यह था है कि कोयला क्षेत्र की बदल रही सूरत को देखते हुए सरकार सीआइएल को ज्यादा पेशेवर कंपनी का रूप देना चाहती है। कोयला क्षेत्र में सुधार के तहत सरकार ने इसमें निजी कंपनियों को व्यावसायिक खनन की इजाजत दे दी है। ऐसे में इस क्षेत्र में स्पर्धा बढ़नी तय है और कोल इंडिया को भी उसी हिसाब से खुद में बदलाव करने होंगे।
सीआइएल में इस वक्त सरकार की 66.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है। अगर वह 15 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री करती है, तो कंपनी में वह आधे से कुछ ही ज्यादा की हिस्सेदार रह जाएगी। इससे पहले सरकार ने जनवरी, 2015 में कोल इंडिया की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची थी। इसके एवज में उसे 22,500 करोड़ रुपये मिले थे। लेकिन दुनियाभर में पिछले पांच वर्षों के दौरान कोयले के भाव में गिरावट और घरेलू मांग घटने से कंपनी के शेयर भाव भी गिरे हैं।
कोरोना संकट ने सरकार की विनिवेश प्रक्रिया को भी चोट पहुंचाई है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने विनिवेश के माध्यम से दो लाख करोड़ रुपये से कुछ अधिक जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून, 2020) के दौरान कोरोना संकट के चलते कारोबारी गतिविधियां लगभग ठप रही हैं। ऐसे में सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पर्याप्त नकदी भंडार पर बैठी सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। इधर, कहा जा रहा है कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ बने माहौल के कारण सरकार विनिवेश की बात को नकार रही है।