कोरबा । सीएमपीएफओ का ईपीएफओ में विलय का मुद्दा तूल पकड़ते जा रहा है। कोल मंत्रालय के निर्देश पर सीएमपीएफओ के कमिश्नर ने विलय के मुद्दे पर एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इस सूचना के बाद यूनियनों के नेता और ट्रस्टी बोर्ड सदस्यों ने इसकी मुखालफत शुरू कर दी है। इधर, विरोध के बीच यह खबर भी आ रही है कि मर्जर के प्रस्ताव से जुड़े पत्र को वापस लेने का निर्देश दिया गया है।
एचएमस नेता नत्थूलाल पांडेय ने कहा कि वैश्विक महामारी में कोयला मजदूर जान हथेली पर ले कोयला का उत्पादन कर रहे हैं। ताकि बिजली का संकट न हो।दूसरी ओर सरकार इन योद्धाओं को अच्छा उपहार दे रही है। ये सरकार का एकपक्षीय फैसला है जो अस्वीकार्य है। 2017 में इसी मुद्दे पर तीन दिवसीय हड़ताल की नोटिस सभी यूनियनों ने दिया था। 18 जून 2017 को कोलकता में डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर के यहां चार पक्षीय वार्ता में कोयला मंत्रालय के उप सचिव ने कहा था कि मर्जर की कोई योजना नहीं है। फिर ये मुद्दा कहां से आ गया। उन्होंने कहा कि इसका हम सभी संगठन एकजुट हो विरोध करेंगे।
ट्रस्टी बोर्ड सदस्य एवं बीएमएस नेता वाईएन सिंह ने कोल सचिव एवं सीएमपीएफ कमिश्नर को पत्र लिखा। उन्होंने कहा मर्जर के विषय पर मंत्री एवं सचिव स्तर पर विस्तृत डिस्कशन, तथा व्यूज एवं ओपीनियन का आदान प्रदान तीन साल पहले हो चुका.है। तदुपरान्त प्रस्ताव वापस लिया गया था। ना तो ईपीएफ ध्ईपीएस, में बदलाव हुआ है ना ही सीएमपीएफ/सीएमपीएस में फिर ईपीएफ/ईपीएस के प्रावधानों में सीएमपीएफ/सीएमपीएस के समतुल्य परिवर्तन किए बिना मर्जर का कोई भी प्रयास ना तो उचित है ना ही एचएमएस को स्वीकार्य होगा। सरकार से इस विषय पर बात की जाएगी, तथा आवश्यक हुआ तो कोयला मजदूरों के हितों पर किसी भी आघात का प्रतिकार किया जाएगा।
ट्रस्टी बोर्ड सदस्य राकेश कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा विलय से कोयला अधिकारियों एवं मजदूरों को हानि है। सीएमपीएफओ की स्थापना ईपीएफओ से पहले हुई है। विलय करने के लिए संसद से मंजूरी लेनी होगी। एमेंडमेंट करना होगा। उन्होंने कहा अभी तक सीएमपीएफओ पिछले तीन साल से स्थायी कमिश्नर की नियुक्ति नहीं हो पाई है। सभी श्रमिक संगठन इसका विरोध करेंगे। एक साथ बैठकर रणनीति बनाएंगे। एटक और सीटू भी विरोध जता चुके हैं।