नई दिल्ली (आईपी न्यूज़)। संसद ने खान और खनिज (विकास और नियंत्रण) कानून 1957 और कोयला खान (विशेष प्रावधान) कानून, 2015 में संशोधन करते हुए खनिज पदार्थ कानून (संशोधन) विधेयक, 2020 को मंजूरी दे दी। राज्यसभा ने आज इस विधेयक को पारित किया, जबकि लोकसभा 6 मार्च, 2020 को इसे पारित कर चुकी है। खनिज पदार्थ कानून (संशोधन) विधेयक, 2020 भारतीय कोयला और खनन क्षेत्र विशेषकर कारोबार को सुगम बनाने को बढ़ावा देने के लिए एक नये युग की शुरुआत करेगा। केन्द्रीय कोयला और खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि इस विधेयक के पारित हो जाने से देश के खनन क्षेत्र में बदलाव आने के साथ कोयला उत्पादन बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी।
संशोधित प्रावधानों में स्पष्ट व्यवस्था है कि ऐसी कंपनियां जिनके पास भारत में कोयला खनन का पहले से अनुभव नहीं है और/अथवा उन्हें अन्य खनिज पदार्थों अथवा अन्य देशों में खनन का अनुभव है, वे कोयले/लिग्नाइट ब्लॉकों की नीलामी में भाग ले सकते हैं। इससे न केवल कोयला/लिग्नाइट ब्लॉक की नीलामियों में भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि कोयला क्षेत्र में एफडीआई नीति के कार्यानवयन को सरल बनाया जा सकेगा।
अब, जो कंपनियां किसी विशिष्ट प्रकार के अंतिम इस्तेमाल में शामिल नहीं हैं, वे अनुसूची II और III कोयला खानों की नीलामी में भाग ले सकती हैं। अंतिम इस्तेमाल की बाधा हटने से विभिन्न उद्देश्यों जैसे अपने उपभोग, बिक्री अथवा किसी अन्य उद्देश्य, केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट कोयला खानों की नीलामी में व्यापक भागीदारी की अनुमति दी जा सकेगी।
विधेयक में कोयला/लिग्नाइट के लिए लाइसेंस और खनन पट्टे (पीएल-और-एमएल) की इजाजत देने की व्यवस्था है जिससे कोयला और लिग्नाइट ब्लॉकों की उपलब्धता बढ़ेगी और विस्तृत भौगोलिक वितरण में अलग-अलग ग्रेड के कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए उपलब्ध होंगे।
सफल बोलीकर्ताओं/आवंटियों को अब इसके किसी भी प्लांट अथवा इसकी सहायक कम्पनी अथवा होल्डिंग (नियंत्रक) कम्पनी में खनन किए गए कोयले के इस्तेमाल का अधिकार होगा। ये संशोधन कोयला खान का आवंटन अगले सफल बोलीकर्ता अथवा आवंटी को प्रदान करेंगे। अनुसूची II की खानों के अलावा खानों के प्रबंधन के लिए निर्दिष्ट संरक्षक की नियुक्ति का भी प्रावधान किया गया है, जो उत्पादन के तहत आती हैं और जिनका अधिकार निधान/आवंटन आदेश रद्द कर दिया गया है।
संशोधनों के साथ, नए पट्टे के अनुदान की तारीख से दो साल की अवधि के लिए अन्य मंजूरियों के साथ पर्यावरण और वन मंजूरी स्वत: खनिज ब्लॉकों के नए मालिकों को हस्तांतरित हो जाएगी। यह नए मालिकों को परेशानी मुक्त खनन कार्य जारी रखने की अनुमति देगा। अवधि के दौरान, वे दो साल की अवधि अधिक नए लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं।
अब पट्टे की अवधि की समाप्ति से पहले खानों के पट्टे की नीलामी शुरू की जा सकती है। यह राज्य सरकार को खनिज ब्लॉकों की नीलामी के लिए अग्रिम कार्रवाई करने में सक्षम बनाएगा ताकि मौजूदा पट्टे की अवधि समाप्त होने से पहले नए पट्टे धारक का फैसला किया जा सके। इससे देश में खनिजों के निर्बाध उत्पादन में मदद मिलेगी।
नए प्रावधानों से गैर-विशिष्ट पैमाइश परमिट (एनईआरपी) धारकों को समग्र लाइसेंस या खनन पट्टे (पीएल-सह-एमएल) के लिए आवेदन करने की अनुमति देकर राष्ट्रीय हित के गहरे खनिजों और खनिजों के अन्वेषण में वृद्धि होगी। एमएमडीआर कानून और सीएमएसपी कानून के विभिन्न दोहराव वाले और निरर्थक प्रावधानों को सुगम कारोबार के लिए हटा दिया गया है।
विधेयक एमएमडीआर कानून 1957 और सीएमएसपी कानून के संशोधन के लिए अध्यादेश का स्थान लेगा जिसे 11 मई 2020 को लागू किया गया था।