धनबाद. बीसीसीएल की भूमिगत खदान के साथ-साथ विभागीय ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट (ओसीपी) भी नुकसानदेह साबित हो रही हैं. कंपनी को विभागीय ओसीपी से उत्पादन करने पर प्रतिटन 1024.92 रुपया का लॉस (नुकसान) हो रहा है. इसकी वजह उत्पादन खर्च से कम कीमत पर कोयले की बिक्री है. पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2016-17, 2017-18 व 2018-19) के आकड़ों पर गौर करें, तो बीसीसीएल ने विभागीय परियोजनाओं (ओसीपी) से 312.70 लाख टन कोयले का उत्पादन किया है. 312.70 लाख टन कोयला उत्पादन करने में कंपनी का 9785.72 करोड़ रुपया खर्च हुआ है.
यानी तीन वर्षों में विभागीय उत्पादन से कंपनी को 320.50 करोड़ का नुकसान होता दिख रहा है. हालांकि आकड़ों के मुताबिक तीन वित्तीय वर्ष में बीसीसीएल को कुल 2468.81 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. वैसे उच्च प्रबंधन कंपनी की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए कॉस्ट कटिंग, विभागीय उत्पादन तथा कार्यक्षमता बढ़ाने पर जोर दे रही है, ताकि स्थिति में सुधार हो सके.
प्रति टन बढ़ रहा है नुकसान : वित्त वर्ष 2016-17 के बाद विभागीय ओसीपी से उत्पादन पर प्रति टन नुकसान के आकड़ों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है.
वर्ष 2016-17 में कंपनी को विभागीय उत्पादन से जहां प्रतिटन 377.07 रुपया का नुकसान हो रहा है, वह वर्ष 2017-18 में बढ़ कर यह 1361.65 रुपया प्रति टन हो गया. हालांकि वित्तीय वर्ष 2018-19 में प्रति टन (712.33 रुपये) लॉस में कुछ कमी आयी है, परंतु चालू वित्तीय वर्ष (2019-20) के अप्रैल से नवंबर माह के आंकड़ों पर गौर करें, तो प्रतिटन लॉस का आंकड़ा 1782.68 रुपया हो गया है.
Source : Prabhat Khabar