नई दिल्ली: सिंगापुर की एक 31 वर्षीय महिला ने, जो गर्भावस्था के दौरान कोविड-19 पॉज़िटिव पाई गई थी, एक बच्चे को जन्म दिया है, जिसके अंदर वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज़ मौजूद हैं.
लेकिन, अभी ये स्पष्ट नहीं है कि क्या ये एंटीबॉडीज़, जो दरअसल बाहरी एजेंट्स से लड़ने के लिए, इम्यून सिस्टम द्वारा पैदा किए गए प्रोटीन्स होते हैं, बच्चे को मां से मिले हैं, या बच्चे ने ख़ुद विकसित किए हैं. ये भी स्पष्ट नहीं है कि क्या बच्चा वायरस के प्रति इम्यून है.
दि स्ट्रेट्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, एक निजी ट्यूटर सेलीन एनजी-चैन, प्रेग्नेंसी के दौरान कोविड-19 से संक्रमित हो गईं थीं, जो देश में कुछ गिने चुने मामलों में से एक था.
उनका ये कहते हुए हवाला दिया गया, ‘ये बहुत दिलचस्प है. उसके पीडियाट्रीशियन ने कहा कि मेरे कोविड-19 एंटीबॉडीज़ चले गए हैं, लेकिन एल्ड्रिन (बच्चे) के अंदर कोविड-19 एंटीबॉडीज़ मौजूद हैं’.
एनजी-चैन वायरस के संक्रमण में तब आईं, जब वो 10 हफ्ते के गर्भ से थीं, और मार्च में यूरोप से छुट्टियां बिताकर आईं थीं.
एनजी-चैन ने दि स्ट्रेट्स टाइम्स को बताया, ‘मुझे चिंता नहीं थी कि एल्ड्रिन को कोविड-19 होगा, चूंकि मैं पढ़ती हूं कि संचारण का ख़तरा (मां से भ्रूण को) बहुत कम होता है’.
बच्चे का जन्म 7 नवंबर को नेशनल यूनिवर्सिटी अस्पताल (एनयूएच) में हुआ, जो सिंगापुर के प्रमुख अस्पतालों में से एक है.
एनजी-चैन और उनका बच्चा, एक बड़ी स्टडी का भी हिस्सा हैं, जिसमें कई सार्वजनिक अस्पताल शामिल हैं, और ये जांच चल रही है कि गर्भवती महिलाओं, और उनके बच्चों के कल्याण तथा स्वास्थ्य पर, कोविड-19 का क्या संभावित असर हो सकता है.
कोविड-19 का भ्रूण पर असर
अभी तक स्पष्ट नहीं है कि अगर गर्भवती महिला का टेस्ट पॉज़िटिव आता है, तो कोरोनावायरस का उसके भ्रूण पर क्या असर होगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ‘हमें अभी तक नहीं मालूम कि जिस महिला को कोविड-19 है, क्या प्रेग्नेंसी या डिलावरी के दौरान, वो अपने वायरस को भ्रूण या शिशु को पास कर सकती है. अभी तक, गर्भाशय के भीतर शिशु के आसपास के फ्लूइड्स, या मां के दूध के नमूनों में, एक्टिव वायरस नहीं पाए गए हैं.
केके महिला एवं शिशु अस्पताल (केकेएच) के, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में असोशिएट प्रोफेसर और अध्यक्ष, टैन हैक कून ने कहा कि इसका सबूत मिला है कि कोविड-19 से संक्रमित माताओं से पैदा हुए शिशुओं में एंटीबॉडीज़ मौजूद थे.
उन्होंने दि स्ट्रेट्स टाइम्स से कहा, ‘लेकिन संरक्षण की अवधि तो छोड़िए, अभी तक तो ये पता नहीं है कि नवजात शिशु में इन एंटीबॉडीज़ की मौजूदगी, क्या उन्हें कोविड-19 संक्रमण से कुछ सुरक्षा देती भी है या नहीं’.