धमतरी (IP News). शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक गतिविधियों के जरिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अनेक नवाचार किए जा रहे हैं, वहीं कुछ शिक्षक और स्कूल प्रबंधन बच्चों के भविष्य को बेहतर ढंग से गढ़ने लीक के हटकर कार्य कर रहे हैं, जिससे विद्यार्थियों के साथ-साथ पालकों व ग्रामीणों में भी नए उत्साह का संचार हो रहा है। धमतरी विकासखण्ड के ग्राम बारना के मिडिल स्कूल में शिक्षक हीरालाल साहू की नवाचारी शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ सहयोगी शिक्षक व स्कूल प्रबंधन समिति की भी सकारात्मक भूमिका लोगों का ध्यान आकर्षित करने में काफी हद तक सफल रही है। काम को सम्मान के तौर पर शुक्रवार 18 सितम्बर को कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य द्वारा शिक्षक श्री साहू को ज्ञानदीप पुरस्कार से नवाजा गया तथा उनके उत्कृष्ट उपलब्धियों की सराहना भी की।
धमतरी विकासखण्ड के संकुल केन्द्र दोनर के तहत मिडिल स्कूल दोनर आता है, जहां वर्ष 2009 में शिक्षक पंचायत के तौर पर श्री साहू की पदस्थापना हुई। उन्होंने सहयोगी शिक्षकों से सलाह-मशविरा करके पहले तो स्कूल युनिफाॅर्म में नवाचार लाने का प्रयास किया। तदुपरांत निजी स्कूलों की भांति यहां के स्कूल में भी बुधवार और शनिवार को विद्यार्थियों के लिए सफेद रंग की युनिफाॅर्म को सर्वसम्मति से लागू किया गया। अच्छी बात यह रही कि गरीब तबके के बच्चों के लिए सभी शिक्षक और पालक प्रबंधन समिति के सदस्यों ने आर्थिक सहयोग दिया।
इससे प्रोत्साहित होकर कतिपय ग्रामीणजन भी सकारात्मक पहल के लिए आगे आए। इसके बाद दूसरे चरण में शिक्षण पद्धति में प्रायोगिकता को अधिक महत्व दिया गया। विशेष तौर पर अंग्रेजी और गणित जैसे कठिन विषयों के प्रति बच्चों में रूचि लाने व विषय-भय दूर करने के लिए पारम्परिक पद्धति के अलावा प्रयोगधर्मिता पर अधिक फोकस किया गया। अंकगणित, रेखागणित और बीजगणित को सरलीकृत कर उन्हें प्रयोग के माध्यम से पढ़ाया गया, वहीं अंग्रेजी के शिक्षक द्वारा सामूहिक अभ्यास और विषय के प्रति झिझक दूर करने के लिए बोलचाल में अंग्रेजी का उपयोग करने की अनिवार्यता कर दी, जिससे बच्चों को बड़ा फायदा मिला। इन विषयों के प्रति भय खत्म हुआ ही, ये रोचक भी लगने लगे, वहीं परीक्षा के नतीजे भी काफी सकारात्मक आए।
पालक प्रबंधन समिति और शिक्षकों के परस्पर समन्वय से सामान्य ज्ञानवर्धन पर भी फोकस किया जाने लगा, परिणामतः वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय साधन सह प्रावीण्य छात्रवृत्ति परीक्षा में स्कूल के एक विद्यार्थी व प्रयास आवासीय विद्यालय के लिए तीन बच्चों का चयन हुआ। निर्धन छात्रों के लिए समिति से भी यथासंभव आर्थिक मदद मिली, ईंटभट्ठों में काम करने वाले मजदूरों के बच्चों के लिए समुचित पठन-पाठन की व्यवस्था की गई। शिक्षक श्री साहू ने बताया कि पंचायत के सहयोग से स्कूल में गार्डन भी विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा नियमित रूप से मध्याह्न भोजन का नियमित माॅनिटरिंग, रसोइयों को सम्मानित करने जैसी गतिविधियां भी शामिल की गईं। इस तरह ‘जहां चाह, वहां राह‘ वाली कहावत को चरितार्थ करता ग्राम बारना का यह स्कूल शिक्षक, विद्यार्थी पालक समिति और ग्रामीणों के तालमेल, सामंजस्य और सहयोग की भावना की मिसाल बन चुका है।