नई दिल्ली। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय कृषि एवं उनसे जुड़े छोटे-छोटे कारोबार को लोन सुविधा मुहैया कराने के लिए माइक्रो फाइनेंसिंग संस्था बनाने पर विचार कर रहा है। एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को बताया कि माइक्रो फाइनेंसिंग संस्था के प्रारूप के लिए नीति आयोग और आइआइटी से भी चर्चा की जा रही है। एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि माइक्रो फाइनेंसिंग संस्था सिर्फ 10 लाख रुपये तक के लोन देने का काम करेगी।

मुख्य रूप से छोटे-छोटे कारोबारियों एवं कृषि उत्पादों से जुड़े व्यवसायियों को माइक्रो फाइनेंसिंग संस्था लोन देगी, जिन्हें अमूमन बैंकों से लोन लेने में काफी दिक्कत होती है। गडकरी के मुताबिक, इस माइक्रो फाइनेंसिंग संस्था का प्रारूप तैयार होने के बाद उसे भारतीय रिजर्व बैंक के पास भेजा जाएगा। वेबसाइट पर उसे सार्वजनिक कर माइक्रो फाइनेंसिंग संस्था का लाइसेंस देने का काम तीन दिन में किया जा सकता है।

गडकरी ने कहा कि 10-20 करोड़ रुपये से इस प्रकार की वित्तीय संस्था की शुरुआत की जा सकती है। अच्छा प्रदर्शन करने पर उनके आकार को बढ़ाया जा सकता है। संस्था की ग्रेडिंग की जाएगी और ग्रेडिंग का काम उस शहर के चार्टर्ड अकाउंटेंट करेंगे। लोन देने की अधिकतम सीमा 10 लाख ही होगी। माइक्रो फाइनेंसिंग संस्था डिपॉजिट लेने का भी काम करेगी।

गडकरी ने कहा कि माइक्रो फाइनेंसिंग संस्था की शुरुआत होने से ग्रामीण इलाके में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और कृषि से जुड़े व्यवसायों की देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सेदारी भी बढ़ेगी। इस प्रकार की वित्तीय संस्था सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़े लोगों को लोन देने के साथ छोटे-छोटे कारोबारियों को भी लोन देने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि विकास के लिए चयनित देश के 115 आकांक्षी जिलों में भी इस प्रकार की वित्तीय संस्थाएं लोन देने का काम कर सकती हैं, ताकि वहां छोटे-छोटे कारोबार विकसित हो सकें। इससे देश के समग्र विकास में भी मदद मिलेगी।

 

 

Source : Dainik Jagran

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