धनबाद। बकाया बिजली बिल को लेकर झारखंड और दामोदर घाटी निगम (DVC) में बिहार के जमाने से ही विवाद चला आ रहा है। साल 2020 में झारखंड के अस्तित्व में आने और झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड को विघटन कर तीन भागों में बांटने के बाद भी विवाद का निपटारा नहीं हो पाया है। आलम यह है कि झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) को डीवीसी जो बिजली की आपूर्ति करती है उसका समय पर भुगतान नहीं मिल पाता है। JBVNL पर डीवीसी का बकाया बढ़कर 5608.32 करोड़ रुपये हो गया था। बकाया वसूली के लिए केंद्र सरकार ने झारखंड सरकार के खाते से 1417.50 करोड़ रुपये काट लिए हैं। इसके बाद से केंद्र और झारखंड सरकार के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र सरकार पर लगातर हमले बोल रहे हैं।
डीवीसी पर कोल इंडिया का 3703 करोड़ बकाया
केंद्र सरकार ने झारखंड के खाते से रुपये काटने का निर्णय मजबूरी में लिया है। दरअसल डीवीसी की भी हालत खराब है।उसे बिजली उत्पादन करने के लिए कोल इंडिया की विभिन्न कंपनियों से कोयला लेना पड़ता है। यह कोयला मुफ्त में नहीं मिलता। डीवीसी पर भी कोयला कंपनियों का कोयला के एवज में 3703 करोड़ रुपये बकाया है। वसूली के लिए कोल इंडिया ने डीवीसी को कोयला आपूर्ति रोक देने की चेतावनी दी है। इसके मद्देनजर ही डीवीसी ने पहले झारखंड पर बिजली बकाया बिल वसूली के लिए दबाव बनाया। झारखंड सरकार ने हल्के में लिया तो डीवीसी ने केंद्र से हस्तक्षेप की अपील की। केंद्र ने पहले रुपये काटने की चेतावनी दी। ध्यान नहीं देने पर रुपये काट लिए गए।
कोल इंडिया का विद्युत संयंत्रों पर 23589 करोड़ बकाया
कोल इंडिया पावर प्लाटों से बकाया वसूली को लेकर लगातार दबाव बन रही है। विद्युत संयंत्रों पर कोल इंडिया का करीब 23589 करोड़ का बकाया हो गया है। अगर यह राशि कोल इंडिया को मिल जाए तो इसकी विभिन्न कंपनियों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगी। कोल इंडिया सूत्रों ने बताया कि बीसीसीएल का 3417 करोड़, सीसीएल का 3910 करोड़, ईसीएल का 4561 करोड़ का बकाया है। कोरोना के बाद जो राशि पावर प्लांटों से कोयला कंपनियों को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है। झारखंड में ही कोल इंडिया की तीन बड़ी कंपनियां है। बीसीसीएल, सीसीएल, ईसीएल। इन तिनों कंपनी को ही मिलाकर करीब साढ़े ग्यराह हजार करोड़ के आसपास बकाया है।
राशि नहीं मिलने से कोल कंपनियों की स्थिति खराब
विद्युत संयंत्रों से बकाया राशि नहीं मिलने से सबसे खराब स्थिति बीसीसीएल की है। हर माह करीब हजार करोड़ का कोयला विद्युत संयंत्रों को बेचती है। इसके एवज में जो राशि हर माह कंपनी को मिलनी चाहिए, वह राशि नहीं मिल पा रही है। यह स्थिति ईसीएल व सीसीएल की भी है।
छह कंपनी की स्थिती खराब
मौजूदा समय में कोल इंडिया की बीसीसीएल, सीसीएल, ईसीएल, एसईसीएल, डब्ल्यूसीएल व एनईसी कंपनी की स्थिति आर्थिक रूप से खराब है। कोल इंडिया उत्पादन व डिस्पैच ग्रोथ निगेटिव है।
मार्च 2019 से बढ़ता गया बकाया
कोल इंडिया से मिली जानकारी के अनुसार मार्च 2019 में विद्युत संयंत्रों पर बकाया 75 सौ करोड़ का था। अप्रैल 2020 में यह बढ़कर 1788.4 करोड़ पहुंच गया। अब यह राशि कोरोना महामारी के दौरान बढ़कर 23589.85 करोड़ पहुंच गया है।
- बीसीसीएल 3417.31 करोड़
- ईसीएल 4561.13 करोड़
- डब्ल्यूसीएल 2222.25 करोड़
- सीसीएल 3910.61 करोड़
- एनसीएल 4291.00 करोड़
- एमसीएल 2593.60 करोड़
- एसईसीएल 2582.78 करोड़
- एनईसी 11.17 करोड़
- कुल 23589.85 करोड़
विद्युत संयंत्रों पर बकाया
- डीवीसी -3703 करोड़
- डब्ल्यूपीडीसीएल- 2552 करोड़
- एनटीपीसी -5301 करोड़