मध्य प्रदेश। कोरोना के खौक के कारण लोग आजकल अपनों से भी दूरी बनाकर रह रहे हैं। कई ऐसी रिपोर्टस आई हैं जिसमें अपनी मां ने अपने बेटे तक को घर में घुसने नहीं दिया। लेकिन इस तस्वीर की कहानी अलग है। एक युवक बीमार है। बहुत ज्यादा बीमार। दूसरा बिल्कुल ठीक। बीमार युवक अमृत कुमार है। और वह जिसकी गोद में हैं वह न तो उसके कोई भाई हैं और न ही कोई दूसरे रिश्तेदार। वह दूसरे युवक मुहम्मद सैयुब हैं। वह उनके दोस्त हैं। अमृत इतना बीमार थे कि मुश्किल से ही सांस भी ले पा रहे थे। सड़क किनारे वह सैयुब की गोद में लेटे हैं और सैयुब पैदल जा रहे लोगों से सहायता की गुहार लगाते हैं। यह तसवीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई है।

दरअसल, मुसलिम नौजवान ने हिंदू – मुस्लिम दोस्ती की एक अनूठी मिसाल कायम करते हुए, अपने हिन्दू दोस्त की जान बचाने के लिए, आखिरी दम तक उसका साथ नहीं छोड़ा। यह बात अलग है कि अपनी तमाम कोशिशों के बाद भी वह उसे बचा नहीं सका। यह दुख भरी दास्तां प्रवासी मजदूरों की है, जो गुजरात की औद्योगिक नगरी सूरत से पलायन कर अपने घर बंदी बलास जिला बस्ती (उत्तर प्रदेश) जा रहे थे। मजदूर सूरत में कपड़े की फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन हुआ तो इनकी फैक्ट्री भी बंद हो गई थी। खर्च निकालना मुश्किल हुआ तो जो साधन मिला उससे अपने घर के लिए निकल पड़े।

गर्मी के मौसम में ट्रक के सफर से अमृत की तबीयत बिगड़ने लगी। ट्रक जिले के पडोरा गांव से गुजर रहा था कि इन मजदूरों में शामिल अमृत कुमार की हालत अचानक इतनी बिगड़ गई कि ट्रक ड्राइवर ने उसे वहीं उतारना मुनासिब समझा, ताकि उसे कहीं पास में चिकित्सीय सुविधा मिल जाए। अमृत कुमार के साथ उसका दोस्त मुहम्मद सैयुब भी उतर गया। सैयुब अपने दोस्त को लेकर सड़क किनारे बैठ गया कि कोई साधन आए, तो वह उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। तभी उस रोड से बीजेपी नेता सुरेन्द्र शर्मा का गुजरना हुआ, जब उन्होंने इन नौजवानों को इस गंभीर हालत में देखा, तो उन्होंने तुरंत एम्बुलेंस की व्यवस्था कर इन्हें अस्पताल भेजा। अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जुझते हुए, अमृत कुमार की देर रात मौत हो गई।

बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य सुरेन्द्र शर्मा, जिन्होंने अमृत को अस्पताल पहुंचाने में मदद की, उनका कहना है कि 15 मई की दोपहर चार बजे की यह घटना है। उन्होंने कहा कि इन लोगों को अस्पताल पहुंचाया। वह कहते हैं, ‘ट्रक ड्राइवर ने जो किया, वह एकदम गलत था। यदि उस मजदूर की हालत खराब हो गई थी तो उसे अस्पताल तक छोड़ना था। ट्रक का नंबर मालूम चलने पर, मैं उस ट्रक ड्राइवर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराऊँगा।’

घटना के एक और चश्मदीद समाजसेवी आदिल शिवानी भी हैं, जो अपने दोस्तों के साथ हाईवे पर प्रवासी मजदूरों के लिए बिस्किट और चप्पलें बांट रहे थे। जब उनसे इस घटना के बारे में पूछा, तो उनका कहना था, श्जो नौजवान बीमार साथी को अपनी गोद में लिटाए बैठा था, उसका कहना था कि वह उसका चचेरा भाई है। तबीयत खराब होने की वजह से उन्हें यहां उतरना पड़ा। वह नौजवान बड़ी फिक्र से बीमार की देखभाल कर रहा था। आपसे ही मुझे यह मालूम चल रहा है कि वह मुसलिम शख्स था। वरना, मुझे इस बात का कहीं से भी एहसास नहीं हुआ।

हीट स्ट्रोक की वजह से हुई अमृत की मौत
जिला मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी द्वारा रोज जारी होने वाले हेल्थ बुलेटिन में 17 मई को बताया गया है कि कामगार अमृत की मौत कोरोना संक्रमण से नहीं हुई है। अमृत के साथकृसाथ उसके दोस्त मुहम्मद सैयुब की रिपोर्ट भी निगेटिव आई है। डीहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक की वजह से ही अमृत की मौत हुई है।

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