नई दिल्ली। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की सेहत को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। कभी उनके ब्रेन डेड की बात सामने आ रही है तो कभी उनकी हालत काफी नाजुक बताई जा रही है। मगर अब तक किम जोंग-उन की सेहत को लेकर रहस्य बरकरार है। इस बीच अगर 36 साल के किम जोंग-उन की मौत हो जाती है तो फिर उत्तर कोरिया की सत्ता संभालने की कतार में उनकी बहन किम यो-जोंग खड़ी हैं। ऐसी संभावना है कि किम जोंग उन की रहस्यमयी मौत होती है तो किम यो-जोंग ही उत्तर कोरिया की अगली तानाशाह बनेंगी। दुनियाभर के विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो किम यो जोंग अपने भाई से भी ज्यादा निर्दयी साबित हो सकती हैं।

सत्ता पाने की कतार में किम यो-जोंग
तानाशाह किम जोंग उन की सेहत को लेकर जारी रहस्य के बीच दुनियाभर के एक्सपर्ट ने चेताया है कि किम यो-जोंग अपने भाई से भी ज्यादा निर्दयी हो सकती हैं। बता दें कि किम जोंग उन आठ साल साल से सत्ता संभाल रहे हैं और इस दौरान उनके क्रूर रूप से पूरी दुनिया वाकिफ हो चुकी है। तानाशाह किम जोंग उन की क्रूरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने परिवार पर भी कभी दया नहीं दिखाई और दुनिया के किसी भी कोने में छिपे अपने दुश्मन को भी नहीं बख्शा है। माना जाता है कि तानाशाह किम ने राजद्रोह के आरोप में अपने चाचा को भी नहीं छोड़ा था और फांसी पर लटकवा दिया था।

किम यो-जोंग की पढ़ाई
साल 1988 में जन्मीं किम यो-जोंग नॉर्थ कोरिया के पूर्व तानाशाह किम जोंग-इल की पांचवीं और सबसे छोटी संतान हैं। 9 साल की उम्र में वह अपनी प्राइमरी शिक्षा पूरी करने के लिए स्विट्जरलैंड के बर्न शहर गईं, जहां वह अपने बड़े भाई किम जोंग-उन के साथ रहती थीं। साल 2002 में वह अपने देश लौट आईं और 2007 में उन्होंने प्योंगयांग के किम इल सुंग यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस की डिग्री हासिल की।

क्या है किम यो-जोंग का राजनीतिक करियर
इसके बाद वह राजनीति में आ गईं और 2011 में अपने पिता की मौत तक उनकी प्रमुख सहयोगी की भूमिका में रहीं। इसके बाद भाई किम जोंग उन की करीबी सहयोगी के रूप में हैं। पिछले काफी समय से वह किम जोंग उन के आसपास देखी जाती रही हैं। वह सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी की शक्तिशाली केंद्रीय समिति की उपाध्यक्ष भी हैं। 31 वर्षीय किम यो जोंग अपने भाई और तानाशाह किम जोंग उन की विश्वासपात्र हैं। सत्ताधारी पार्टी पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। तानाशाह किम जोंग उन के बाद उनकी हैसियत कितनी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ साल 2018 में सिंगापुर और 2019 में वियतनाम में हुई शिखरवार्ता में वह अपने भाई किम जोंग-उन के साथ गई थीं।

निष्कासन के बाद अचानक हुई बहाली
मगर बहन और भाई में उस वक्त दूरी बढ़ गई, जब तानाशाह ने 2019 में अमेरिकी समिट की विफलता का ठीकरा किम यो-जोंग के ऊपर फोड़ दिया था। इतना ही नहीं, सत्तारूढ़ पार्टी के पोलित ब्यूरो से भी उन्हें निष्कासित कर दिया गया था, मगर इसी महीने फिर उन्हें बहाल कर दिया गया है। माना जा रहा है कि 11 अप्रैल को तानाशाह किम जोंग उन को आखिरी बार देखा गया और इसी दिन किम यो-जोंग को बहाल किया गया है। यही वजह है कि तानाशाह किम जोंग की सेहत को लेकर काफी कायास लगाए जा रहे हैं। कई रिपोर्ट में तो उनकी मौत की भी बात सामने आ रही है, मगर अब तक इसकी किसी ने पुष्टि नहीं की है।

साउथ कोरिया पर दिखा था सख्त तेवर
पिछले महीने मार्च में नॉर्थ कोरिया के न्यूक्लियर कार्यक्रम पर साउथ कोरिया ने आपत्ति जाहिर की थी। इसके बाद तानाशाह की 31 साल की बहन किम यो-जोंग साउथ कोरिया पर भड़की थीं और कहा था, ‘डरे हुए कुत्‍ते भौंक रहे हैं।’ इसके अलावा, वह दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपने भाई की बैठकों के दौरान भी मौजूद थीं।

भाई की जगह कर चुकी हैं प्रतिनिधित्व
साल 2018 में विंटर ओ‍लं‍पिंक खेलों में किम यो जोंग ने अपने भाई की जगह पर नॉर्थ कोरिया का नेतृत्‍व किया था। इसके बाद उनकी सत्‍तारूढ़ पार्टी में हैसियत और भी बढ़ गई थी। इसकी वजह ये है कि किम जोंग उन को अपनी बहन पर पूरा भरोसा है।

इस वजह से किम यो-जोंग को मिल सकती है सत्ता की चाबी
तानाशाह किम जोंग की मौत के बाद बहन को सत्ता की चाबी मिलने की ज्यादा संभावना इसलिए भी है क्योंकि किम यो-जोंग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्यों को बेहतर तरीके से समझती हैं। इस देश में कभी कोई महिला नेता नहीं बनी है। उम्मीद की जा रही है कि किम यो जोंग अगली नेता हो सकती हैं। इसके अलावा, जिस तरह किम यो जोंग पर तानाशाह किम जोंग उन भरोसा करते हैं, उम्मीद है कि अगली तानाशाह किम यो-जोंग ही होंगी।

क्यों भाई से भी ज्यादा खतरनाक हैं किम यो-जोंग
किम यो जोंग को लेकर दुनियाभर के विशेषज्ञों का मानना है कि वह अपने भाई से भी ज्यादा खतरनाक और हर्टलेस हो सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि किम यो-जोंग में हथियारों के विकास का जूनून कई बार दिख चुका है। अधिनायकवादी व्यवस्था के विशेषज्ञ प्रो नताशा लिंडस्टाट का मानना है कि किम यो-जोंग को तानाशाह के रूप में स्वीकार किए जाने में लिंग कोई बाधा नहीं होगी। अगर वह भाई की मौत के बाद सत्ता में आती हैं तो वह किम इल-सुंग द्वारा 1948 में शुरू की गई देश की सत्ता पर परिवार की अटूट पकड़ को जारी रखेंगी।
वहीं, प्रोफेसर लिंडस्टेड का मानना है कि मुझे नहीं लगता कि अगर वह सत्ता पर काबिज होती हैं तो वह महिला होने के नाते कमजोर साबित होंगी। कारण कि उत्तर कोरिया में इन्हें भगवान के रूप में प्रजेंट किया जाता है। यही वजह है कि किम यो-जोंग अगर यह सत्ता में आती हैं तो फिर वह भी अपने भाई के नक्शेकदम पर चलेंगी और उससे भी ज्यादा क्रूर शासक बन सकती हैं।
देश गठन के बाद से ही परिवार के पास सत्ता
किम जोंग उन अपने परिवार के तीसरी पीढ़ी के नेता हैं। 2011 में पिता किम जोंग इल की हार्ट अटैक से मौत के के बाद किम जोंग जूनियर ने सत्ता संभाली। 1948 में देश के गठन के बाद से ही किम के परिवार का उत्तर कोरिया की सत्ता पर कब्जा रहा है और हर नेता की मौत के बाद इस तरह के सवाल उठे कि अब गद्दी कौन संभालेगा? क्या किम वंश का शासन समाप्त हो जाएगा? लेकिन तीनों ही किम ने इन सवालों को गलत साबित किया और शासन पर अपनी मजबूत पकड़ कायम रखी। किम जोंग उन के शासन में उत्तर कोरिया ने अमेरिका के विरोध के बावजूद परमाणु हथियार और मिसाइलों से अपनी शक्ति खूब बढ़ा ली है। यही वजह है कि अब दुनिया के एक्सपर्ट्स को डर है कि किम जोंग की मौत के बाद बहन भी ऐसा ही रुख अपनाएगी।

 

 

Source : Hindustan

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