छत्तीसगढ़ में उत्पादित बिजली अब आसानी से दक्षिण भारत के राज्यों तक पहुचायी जा सकेगी क्यूंकि पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) ने रायगढ़-पुगलुर हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) ट्रांसमिशन परियोजना के पहले चरण का परिचालन शुरू कर दिया है।
6,000 मेगावाट की क्षमता वाली यह परियोजना रायगढ़ (छत्तीसगढ़) और पुगलुर (तमिलनाडु) के बीच 1500 मेगावाट विद्युत प्रवाह को सुगम बनायेगी। पहले चरण की 1765 किलोमीटर लंबी एचवीडीसी लाइन दुनिया की सबसे लंबी विद्युत पारेषण लाइन होगी।
छह से अधिक बड़े बिजली संयंत्रों के बराबर क्षमता वाली रायगढ़-पुगलुर परियोजना भारत में 80 मिलियन से अधिक लोगों तक बिजली पहुँचाएगी ।
छत्तीसगढ़ राज्य में निजी विद्युत् उत्पादक अत्याधुनिक एचवीडीसी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके उत्पन्न थोक बिजली की निकासी के लिए इस परियोजना का उपयोग कर सकते है।
एचवीडीसी लिंक के साथ इसे भारत की पहली हरित ऊर्जा कॉरिडोर परियोजना के रूप में भी देखा जा रहा है। यह परियोजना मुख्य ग्रिड के साथ अक्षय ऊर्जा को जोड़ने में महत्वपूर्ण साबित होगा। यह थर्मल और पवन ऊर्जा से उत्पादित बिजली को हजारों किलोमीटर दूर स्थित उच्च ऊर्जा खपत केंद्रों तक आपूर्ति के लिए मददगार होगा। जब हवा का दबाव कम होगा तो दक्षिण प्रान्त में आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण होगा और हवा का दबाव अधिक होने की स्थिति में बिजली उत्तरी क्षेत्र में प्रसारित की जाएगी।
यह परियोजना मेक इन इंडिया पहल का भी एक बेहतरीन उदाहरण है जहां प्रमुख घटकों के डिजाइन, इंजीनियरिंग, विनिर्माण और परियोजना का निष्पादन स्थानीय स्तर पर किया जा रहा है।
पावरग्रिड ने अपनी व्यावसायिक विशेषज्ञता और परियोजना प्रबंधन क्षमताओं के साथ कोविड 19 महामारी के दौरान कई चुनौतियों और लॉकडाउन प्रतिबंधों के बावजूद इस विशाल प्रणाली को पूरा किया है।