देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने 31 मार्च 2020 को समाप्त तिमाही के दौरान 17.318 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है। कोविड-19 प्रकोप के कारण वैश्विक वैश्विक स्तर पर आई मंदी के कारण ईंधन की मांग में नरमी और इन्वेंटरी नुकसान से कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन प्रभावित हुआ। वित्त वर्ष 2019 की समान तिमाही में कंपनी ने 9,020 करोड़ रुपये का कर पूर्व लाभ दर्ज किया था।
कंपनी ने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप और तेल बाजार के परिृदश्य में बदलाव के कारण कच्चे तेल की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट आई जिससे इस अवधि के दौरान इन्वेंटरी के मूल्यांकन को 6,855.35 करोड़ रुपये का झटका लगा। लंबी अवधि के लिहाज से इन्वेंटरी के मूल्यांकन का नुकसान एक साल में बढ़कर 11,304.64 करोड़ रुपये हो गया। जनवरी से मार्च 2020 की अवधि के दौरान विदेशी मुद्रा का घाटा भी बढ़कर 4,145.53 करोड़ रुपये हो गया जो वित्त वर्ष 2019 की समान अवधि में 1,740.94 करोड़ रुपये रहा था। देश में कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च 2020 से किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण पैदा हुई अभूतपूर्व परिस्थिति के मद्देनजर लंबी अवधि को आकलप में शामिल किया गया है। इस अप्रत्याशित परिस्थिति में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई। इंडियन ऑयल के चेयरमैन संजीव सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में कंपनी ने 14,692 करोड़ रुपये का इन्वेंटरी नुकसान दर्ज किया जबकि एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी ने 1,787 करोड़ रुपये का इन्वेंटरी लाभ दर्ज किया था।
तिमाही के दौरान कंपनी का शुद्ध घाटा 8,565.54 करोड़ रुपये रहा जबकि एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी ने 6,003.96 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था। वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही के दौरान कंपनी ने 9.64 डॉलर प्रति बैरल का सकल रिफाइनिंग मार्जिन दर्ज किया जबकि जनवरी से मार्च 2019 की समान तिमाही में यह आंकड़ा 4.09 डॉलर रहा था। इन्वेंटरी घाटे को छोड़कर कंपनी का सकल रिफाइनिंग मार्जिन वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में 2.15 डॉलर प्रति बैरल रहा।
पूरे वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कंपनी का औसत सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) घटकर 0.08 डॉलर प्रति बैरल रह गया जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 5.41 डॉलर प्रति बैरल रहा था। वित्त वर्ष 2020 के लिए सकल रिफाइनिंग मार्जिन के कारण इन्वेंटरी नुकसान/फायदे की भरपाई हुई और वह 2.64 डॉलर रहा।
इस बीच, इंडियन ऑयल के बोर्ड ने उधारी सीमा को 55,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,65,000 करोड़ रुपये करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए वार्षिक आम बैठक में शेयरधारकों से मंजूरी लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इंडियन ऑयल के निदेशक संदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि इससे पहले करीब 10 वर्ष पहले उधारी सीमा में वृद्धि की गई थी।
source : Business Standard