नई दिल्ली: देश केअलग-अलग हिस्सों में नौकरियों और विभिन्न पदों को भरने के लिए हुई परीक्षाओं के नतीजे निकालने के लिए हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अठारह हजार से अधिक पद रिक्त हैं.

संसद में एक लिखित प्रश्न का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि खाली पड़े पदों में 6,210 शैक्षणिक और 12,437 गैर-शैक्षणिक पद हैं.

उन्होंने बताया कि इसके अलावा इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) में 196 शैक्षणिक पद और 1,090 गैर शैक्षणिक पद रिक्त पड़े हुए हैं.

इसके अलावा तीन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों में 52 शैक्षणिक और 116 गैर-शैक्षणिक पद खाली हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पदों का रिक्त होना और भरते रहना एक सतत प्रक्रिया है. शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी विश्वविद्यालयों पर नजर रखते हैं.

उन्होंने आगे कहा कि यूजीसी ने 4 जून, 2019 को विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को खाली पदों को भरने के लिए दिशानिर्देश दिए थे, जिनके तहत चयन प्रक्रिया और भर्ती के लिए समयसीमा दी गई है. खाली रिक्तियों को भरने का काम विश्वविद्यालयों को करना होता है.

न्यूज़18 के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में पद रिक्त होने, जो शिक्षकों की कुल तयशुदा संख्या का एक तिहाई है, के बावजूद सरकार ने कहा है कि मंत्रालय वर्तमान में एडहॉक, कॉन्ट्रैक्ट या गेस्ट फैकल्टी के बतौर काम कर रहे शिक्षकों को स्थायी करने के बारे में नहीं सोचा रहा है.

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रिक्तियों के बारे में शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि साल 2019-20 के लिए ओबीसी के लिए रिक्त शिक्षण पदों की संख्या बढ़कर 300 हो गई है, जबकि एससी और एसटी के लिए यह आंकड़ा क्रमशः 172 और 73 है.

2018-19 की तुलना में ओबीसी की 23, एससी की 16 और एसटी की पांच रिक्तियों में बढ़ोतरी हुई है. इससे पहले 2017-18 में ओबीसी के 165, एससी के 113 और एसटी के 38 शैक्षणिक पद खाली थे.

गैर-शैक्षणिक पदों की बात करें, तो साल 2019-20 में ओबीसी के 40, एससी के 21 और एसटी के 09 पद रिक्त हैं. 2018-19 में ओबीसी के लिए खाली पदों की संख्या 158, एससी की 80 और एसटी की 40 थी.

साल 2017 18 में ओबीसी के 95, एससी के 69 और एसटी के 32 गैर-शैक्षणिक पद खाली थे.

इसी दौरान मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों को उनके यहां नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी है.

अगस्त के आखिरी हफ्ते में जारी एक आदेश में मंत्रालय ने निर्देश दिया था कि जब तक कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन की अवधि ख़त्म न हो, तब तक शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक पदों पर होने वाली नियुक्तियों को रोक दिया जाए.

इस पत्र में इसका स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है, लेकिन अधिकारियों के अनुसार ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है, खर्चों को कम करना ही प्राथमिक उद्देश्य है.

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