कोरबा (IP News). छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अजीत जोगी की राह पर चल पड़े हैं। श्री बघेल ने सोमवार को ऐलान किया कि केन्द्र सरकार बस्तर के नगरनार इस्पात संयंत्र का विनिवेश करती है तो छत्तीसगढ़ सरकार इसे खरीदने तैयार है। संयंत्र को निजी हाथों में नहीं जाने दिया जाएगा।
यहां बताना होगा कि 20 साल पूर्व तत्कालिन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी बालको के मामले में ऐसा ही ऐलान किया था। 2001 में केन्द्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) का विनिवेश किया था। बालको की 51 फीसदी हिस्सेदारी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को 551 करोड़ रुपए में बेच दी गई थी। पब्लिक सेक्टर के प्लांट को बेचे जाने का खासा विरोध हुआ था। श्रमिक संगठनों ने एक मंच पर आकर 67 दिनों की ऐतिहासिक हड़ताल भी की थी। मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा केन्द्र को बालको के शेयर खरीदने का ऑफ़र दिया था। हालांकि यह ऑफ़र ठुकरा दिया गया था। तमाम विरोध के बावजूद बालको का मालिकाना हक निजी हाथों में चला गया था।
इस मामले के 20 साल बाद राज्य की भूपेश सरकार ने राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) लिमिटेड नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेश को लेकर इसे खरीदने का ऐलान किया है।
केन्द्र सितंबर तक पूरा करेगी नगरनार प्लांट के विनिवेश की प्रक्रिया
यहां बताना होगा कि अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) लिमिटेड से नागरनार इस्पात संयंत्र (एनएसपी) को अलग करने तथा अलग की गई कंपनी में निहित भारत सरकार की पूरी हिस्सेदारी को एक रणनीतिक खरीददार के लिए विक्रय द्वारा इसके रणनीतिक विनिवेश को अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। नागरनार संयंत्र के विनिवेश को लेकर भूपेश सरकार ने आपत्ति भी जताई थी।
नागरनार इस्पात संयंत्र छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के नागरनार में एनएमडीसी द्वारा स्थापित तीन मिलियन प्रतिवर्ष क्षमता वाला एक एकीकृत इस्पात संयंत्र है। यह संयंत्र 1980 एकड़ क्षेत्र में फैला है और इसकी संशोधित लागत 23,140 करोड़ रूपये (14.07.2020 के अनुसार) है। उपर्युक्त तिथि पर एनएमडीसी ने इस परियोजना पर 17,186 करोड़ रूपये निवेश किए हैं, जिसमें से 16,662 करोड़ रूपये एनएमडीसी के अपने कोस्ट से तथा 524 करोड़ रूपये बॉन्ड बाजार से जुटाए गए हैं।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति द्वारा अलगाव और विनिवेश की प्रक्रिया एक साथ शुरू करने और अलग की गई कंपनी (एनएसपी) के विनिवेश का कार्य सितंबर 2021 तक पूरा करने की बात कही गई थी।
एनएमडीसी इस्पात मंत्रालय के तहत एक सूचीबद्ध केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम है और इस कंपनी में भारत सरकार की 69.65 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।