कोरबा (IP News). हिन्द खदान मजूदर फेडरेशन एचएमएस के अध्यक्ष एवं सीआईएल के जेबीसीसीआई सदस्य नाथूलाल पांडेय ने कहा कि केन्द्र सरकार कोयला कामगारों के गुस्से को नहीं देख रही है। लोकतंत्र में हर किसी की बात सुननी चाहिए। कमर्शियल माइनिंग को लेकर कोयला कामगारों में आक्रोश है। इस बार हड़ताल में कामगार स्वस्फूर्तः शामिल हुए हैं। तीन दिवसीय हड़ताल आज खत्म होने जा रही है। सबसे अहम बात यह है कि पूरा आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है।
शनिवार की सुबह श्री पांडेय ने industrialpunch.com से चर्चा की। एचएमएस के नेता ने कहा कि केन्द्र सरकार ने बगैर विश्लेषण कमर्शियल माइनिंग का फैसला लिया है जो कोल इंडिया और कामगारों के लिए नुकसानदेह साबित होगा। कोल इंडिया के पास सरप्लस कोयला है। फिर ऐसी स्थिति में खदानों को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय उचित नहीं है। निजी कंपनियां केवल मुनाफा देखती हैं। न उन्हें कामगारों का हित देखना है और न ही सामाजिक दायित्व। कोल इंडिया लिमिटेड सरकार को करोड़ों- करोड़ों रुपए कमा कर देती है। सीआईएल के पास अपने इतने रिसोर्स हैं कि उसे सरकार की ओर देखना नहीं पड़ता है। हाल ही में वित मंत्री सीतारमन ने कहा था कि कोल इंडिया को 50 हजार करोड़ रुपए दिए जाएंगे। उन्हें यह नहीं बताया कि यह पैसा कोल इंडिया का ही है। श्री पांडेय ने कहा कि कोयला उद्योग की हड़ताल ने दूसरे पब्लिक सेक्टर के कामगारों को राह दिखाई है। अब देश के भीतर सभी पब्लिक सेक्टर्स के कामगार एकजुट होकर निजीकरण के खिलाफ लड़ाई लड़ें यह वक्त आ रहा है।
सीआईएल ने किया आंकड़ों का खेल
श्री पांडेय ने कहा कि हड़ताल के बीच उत्पादन, डिस्पेच के आंकड़े जारी कर सीआईएल ने गुमराह करने की कोशिश की है। सभी जानते हैं आंकड़ों का कैसा खेल होता है। सभी खदानों में कोयले का स्टाॅक रहता है। पुराने स्टाॅक को ही इधर से उधर किया गया है। मैं यह नहीं कहता कि शत प्रतिशत उत्पादन ठप रहा है, लेकिन हड़ताल शत प्रतिशत सफल रही है। ज्यादातर नियमित कामगार हड़ताल पर हैं।