यूपी के बिजली विभाग के कर्मचारी सोमवार से अनिश्चिकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारियों ने कामकाज का पूरी तरह बहिष्कार कर दिया है। कर्मचारियों की ये अनिश्चितकालीन हड़ताल यूपी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बुलाई है। ये हड़ताल वाराणसी डिस्कॉम के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ है। हालांकि यूपी सरकार का इन हड़तालियों के प्रति रूख काफी गरम है। सरकार ने कहा कि वह इन विरोध-प्रदर्शन से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
पहले यह हड़ताल सिर्फ एक दिन के लिए थी। बिजली विभाग के कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि अगर केंद्र ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो अनिश्चितकाल के लिए काम का बहिष्कार किया जाएगा। सरकार नरम नहीं पड़ी तो कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।
इस हड़ताल में जूनियर इंजीनियर (Junior Engineer) उप-विभागीय अधिकारी (Sub-Divisional Officer) कार्यकारी इंजीनियर (Executive Engineer) और अधीक्षण अभियंता (Superintending Engineer) शामिल हैं।
UP Power Corporation (UPPCL) के मैनेजमेंट ने संघर्ष समिति के नेताओं से बात करके उन्हें बहिष्कार वापस लेने को कहा। लेकिन मैनेजमेंट ने कर्मचारियों का प्रपोजल खारिज कर दिया जिसमें वह निजीकरण ना करने की मांग कर रहे थे।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) के चेयरमैन शैलेंद्र दूबे ने कहा, “मैनेजमेंट ने जब हमारी मांगें नहीं मानी तो हमने सभी वर्कर्स को पूरी तरह काम बंद करने को कहा।” उनका आरोप है कि मैनेजमेंट सरकार को गुमराह कर रही है। संघर्ष समिति के लोगों ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से इस मामले में दखल देने को कहा है।
बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (Power worker joint struggle committee) के जिला संयोजक (District Coordinator) अवधेश कुमार ने कहा कि बिजली क्षेत्र के निजीकरण (Privatization) के विरोध में सोमवार को सुबह से शाम तक विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा और अगर मांगें पूरी नहीं हुई तो हड़ताल आगे भी जारी रहेगी।
अवधेश कुमार ने आगे कहा कि देश के अन्य जगह जैसे ओडिशा, दिल्ली, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, उज्जैन, ग्वालियर, भागलपुर, गया और मुजफ्फरपुर में बिजली क्षेत्र का निजीकरण सफल नहीं हुआ है। लिहाजा यह निजीकरण जनता के खिलाफ है। सरकार के इस कदम से बिजली महंगी हो जाएगी। इस बीच गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने कहा कि किसी भी कीमत पर बिजली की 24 घंटे सप्लाई की जाएगी।