छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहां निजी विद्यालयों की फीस इत्यादि को लेकर मनमानी रोकने अधिनियम बनाया गया है। छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम, 2020 इसी वर्ष 24 सितम्बर को राजपत्र में प्रकाशित हुआ है। इस एक्ट की खास बात यह है कि शुल्क निर्धारण को लेकर तमाम तरह के निर्णय लेने का अधिकार विद्यालय फीस समिति के पास है। अभिभावक संघ भी फीस को लेकर अपना अभ्यावेदन इस समिति को देगा। विद्यालय फीस समिति को सबसे अधिक सक्षम बनाया गया है। समिति को सिविल न्यायालय की शक्तियां प्रदान की गई हैं। उल्लंघन पर कार्रवाई का प्रावधान भी है। आइए जानते हैं अधिनियम की खास बातें:
अधिनियम में हैं पांच अध्याय:
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कैसे होगा फीस निर्धारण समिति का गठन:
अध्याय दो में फीस समितियों के गठन के बारे में बताया गया है। विद्यालय से लेकर राज्य स्तर तक 3 तरह की समितियां गठित होंगी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है विद्यालय फीस समिति।
विद्यालय फीस समिति के अध्यक्ष विद्यालय प्रबंधन समिति के प्रमुख होंगे। कलेक्टर द्वारा नामांकित नोडल अधिकारी सदस्य होंगे। इसी तरह कलेक्टर द्वारा प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक से एक- एक अभिभावक को सदस्य नामांकित किया जाएगा। संबंधित विद्यालय के प्राचार्य द्वारा भी प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक से एक- एक अभिभावक को सदस्य नामांकित किया जाएगा। विद्यालय के प्राचार्य सदस्य सचिव होंगे।
जिला फीस समिति में कलेक्टर अध्यक्ष होंगे। कलेक्टर द्वारा एक लेखाधिकारी अथवा कोषालय अधिकारी सहित एक शिक्षाविद् व एक कानूनविद् को सदस्य नामांकित किया जाएगा। कलेक्टर द्वारा अशासकीय विद्यालय से 2 अभिभावकों तथा विद्यालय प्रबंधन के दो व्यक्तियों को सदस्य नामांकित किया जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारी इस समिति के सदस्य सचिव होंगे।
ऐसे होगा फीस का निर्धारण:
अध्याय तीन में फीस के निर्धारण को लेकर बताया गया है। फीस निर्धारण के नौ बिंदु निर्धारित किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं:
- इस अधिनियम के प्रारंभ होने के पूर्व से संचालित समस्त अशासकीय विद्यालयों का प्रबंधन, इस अधिनियम के प्रारंभ होने के 1 माह के भीतर एवं इस अधिनियम के प्रारंभ होने के पश्चात खुलने वाले समस्त अशासकीय विद्यालयों का प्रबंधन ऐसे अशासकीय विद्यालयों के खुलने के 3 माह के भीतर, अशासकीय विद्यालयों के द्वारा ली जाने वाली फीस के अनुमोदन हेतु प्रस्ताव, धारा 3 के अंतर्गत गठित विद्यालय फीस समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगा तथा यह समिति इस प्रस्ताव पर अपना निर्णय 1 माह के भीतर लेगी।
- एक बार सक्षम समिति द्वारा फीस का अनुमोदन हो जाने के पश्चात, यदि अशासकीय विद्यालय का प्रबंधन फीस बढ़ाना चाहे तो उसे शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के कम से कम 6 माह पूर्व सुसंगत अभिलेख सहित धारा 3 के अंतर्गत गठित विद्यालय फीस समिति के समक्ष फीस बढ़ाने का प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा तथा समिति यथासंभव 3 माह के भीतर फीस बढ़ाने के प्रस्ताव पर अपना निर्णय देगी।
- अभिभावक संघ, फीस निर्धारण के संबंध में अभ्यावेदन धारा 3 के अंतर्गत गठित विद्यालय फीस समिति के समक्ष प्रस्तुत कर सकेंगे और यह समिति फीस निर्धारण पर निर्णय लेते समय ऐसे ही अभ्यावेदनों पर भी विचार करेगी तथा समिति द्वारा निर्धारित फीस की सूचना नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाएगी।
- इस अधिनियम के अंतर्गत गठित समितियां फीस निर्धारण के प्रायोजन से संबंधित विद्यालयों से लेखा एवं अन्य अभिलेख मंगा सकेंगी।
- इस अधिनियम के अंतर्गत गठित समितियां फीस निर्धारण के प्रायोजन से विद्यालय प्रबंधन एवं अभिभावकों की भी सुनाई कर सकेगी।
- इस अधिनियम के अंतर्गत गठित समितियों को लेखा तथा अभिलेख मंगाने तथा सुनवाई के लिए व्यक्तियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होंगी।
- धारा 3 के अंतर्गत गठित विद्यालय फीस समिति, अशासकीय विद्यालय के प्रबंधन के प्रस्ताव तथा अभिभावकों के अभ्यावेदनों पर विचार एवं विद्यालय के लेखों एवं अभिलेखों का परीक्षण करने के पश्चात, विद्यालय की फीस का निर्धारण करेगी तथा फीस का निर्धारण करते समय अशासकीय विद्यालय के प्रबंधक द्वारा विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं का ध्यान रखेगी।
- धारा 3 के अंतर्गत गठित विद्यालय फीस समिति, विद्यालय की वर्तमान फीस में अधिकतम 8 प्रतिशत तक की वृद्धि का अनुमोदन कर सकेगी। परंतु यदि समिति की राय में, वर्तमान फीस में 8 प्रतिशत से अधिक वृद्धि किया जाना आवश्यक हो तो, वह अपनी अनुशंसा के साथ प्रस्ताव, धारा 4 के अंतर्गत गठित जिला फीस समिति का अग्रेषित करेगी तथा धारा 3 के अंतर्गत गठित विद्यालय फीस समिति से ऐसा प्रस्ताव प्राप्त होने पर, जिला फीस समिति यथासंभव 3 माह के भीतर उस पर निर्णय करके फीस का निर्धारण करेगी।
- अशासकीय विद्यालयों का प्रबंधन इस अधिनियम के अंतर्गत गठित सक्षम समिति द्वारा निर्धारित की गई फीस से अधिक फीस नहीं लेगा।
अभिभावकों को होना होगा जागरूक:
अधिनियम के तहत फीस निर्धारण के सारे अधिकार विद्यालय फीस समिति को दे दिए गए हैं। अब अभिभावकों को इस अधिनियम को लेकर जागरूक होना होगा।
फीस को लेकर हाईकोर्ट ने क्या कहा है:
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोविड-19 संकट के दौरान फीस को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि निजी स्कूल ट्यूशन फीस ले सकते हैं। ट्यूशन फीस उतनी ही ली जाएगी, जितनी बीते वर्ष निर्धारित थी। अभिभावक ट्यूशन फीस का भुगतान मासिक, त्रैमासिक या अपनी सुविधनुसार कर सकता है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन छात्रों तक पढ़ाई की आॅनलाइन सुविधा नहीं पहुंच पा रही है, ऐसे छात्रों को स्कूल प्रबंधन स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराएगा। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि स्कूल प्रबंधन अपने किसी भी स्टाॅफ का वेतन नहीं रोकेगा।