कोरबा (आईपी न्यूज़)। गुरुवार को पर्यावरण के मुद्दों को लेकर कार्यरत जनअभिव्यक्ति संस्था द्वारा “कोरबा एक्शन प्लान” पर एक दिवसीय बैठक आयोजित की गई। इसमें कोयला खनन एवं उद्योगों प्रभावित लोग शामिल हुए।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने एक दस्तावेज बनाया है कोरबा एक्शन प्लान। बैठक में इसको लेकर चर्चा की गई। बताया गया कि जल प्रदूषण अधिनियम 1974 और वायु प्रदूषण अधिनियम 1981 के तहत यह एक कानूनी दस्तावेज भी है, लेकिन इसे बनाने में कोरबा के प्रदूषण संबंधी प्रमुख मुद्दों को समग्र रूप से देखा ही नहीं गया। जो कुछ सुझाव इस दस्तावेज में हैं उनका भी अनुपालन नहीं हो रहा हैं। जैसे- परियोजनाओ के विस्तार पर लगी रोक को हटा दिया गया। कोल परिवहन को पूर्ण रूप से कन्वेयर बेल्ट से करने के सुझाव की धज्जियां उड़ाते हुए यथावत परिवहन जारी है। सभी परियोजनाओ में जल शोधन संयंत्र नहीं लगवाए गए। ईएसपी का सतत नहीं चलना आदि शामिल है। यही कारण है कि कोरबा एक्शन प्लान को 10 वर्ष होने जा रहे है, किंतु कोरबा में प्रदूषण का संकट आज भी उसी अवस्था में बरकरार है। बैठक में कहा गया कि इस दस्तावेज को सिर्फ एक विभागीय प्रक्रिया तक सीमित रखा गया है। कोरबा के स्थानीय समुदाय जो प्रदूषण की गंभीर समस्या को कई दशकों से झेल रहे हैं। या यूं कहें कि प्रदूषण की काली परत लोगों की जिंदगी में घनघोर अंधेरे के रूप में छा चुकी हैं। उनके साथ कोई परामर्श की प्रक्रिया को भी सरकार और सम्बन्धित विभागों ने मुनासिब नहीं समझा है। बैठक में कहा गया कि इसके पीछे एक प्रमुख कारण कंपनियों का दवाब रहा है। इस दिशा में सरकार को विचार करना होगा। कोरबा एक्शन प्लान को व्यापक जन परामर्श की प्रक्रिया से गुजार कर पूरे कोरबा के प्रदूषण की समस्या को समग्रता के साथ देखते हुए कारपोरेट हितों से परे सुझाव और समाधान को कड़ाई से लागू करने की जरूरत पर बल दिया गया। इस दौरान बिपाशा पाल सहित अन्य मौजूूूद।

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