पटना।  कोरोना संकट को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन का दौर जारी है। बावजूद इसके इस महामारी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा एक लाख 18 हजार के पार पहुंच गया है। बिहार में भी इस खतरनाक वायरस का संक्रमण  लगातार बढ़ता जा रहा है।

अब तक प्रदेश में 2100 से ज्यादा पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं, वहीं इस महामारी से 11 लोगों की मौत हुई है। हालांकि, सूबे में कोरोना वायरस के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण प्रवासी मजदूर माने जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, पिछले 20 दिनों के दौरान बिहार में आए पॉजिटिव केस में 72 फीसदी मामले प्रवासी मजदूरों के हैं।

अब तक 1184 प्रवासी मजदूरों में कोरोना की पुष्टि
बिहार में कोरोना मरीजों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 15 मई को जहां प्रदेश में महज 1000 पॉजिटिव केस आए थे, वहीं एक हफ्ते के अंदर ही ये बढ़कर 2166 पहुंच गए हैं। बिहार हेल्थ सोसाइटी की ओर से शुक्रवार को शेयर की गई जानकारी के मुताबिक, तीन मई से अब तक बिहार लौटे 1,184 प्रवासी मजदूरों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। बिहार में कोरोना वायरस का पहला मामला 22 मार्च को सामने आया था, जब प्रदेश में तीन पॉजिटिव केस सामने आए। इसके बाद 29 अप्रैल तक आंकड़ा 400 के पार पहुंच गया। 3 मई को प्रदेश में कोरोना के 517 मामले थे।

3 मई के बाद तेजी से बढ़े कोरोना के मामले
3 मई के बाद से 22 मई के बीच कोरोना वायरस के मामले बिहार में तेजी से बढ़े हैं। इस दौरान करीब 1649 पॉजिटिव केस सामने आए हैं। इनमें बड़ी संख्या दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों की है। इस दौरान दिल्ली से लौटे 333 प्रवासी मजदूर कोरोना पॉजिटिव पाए गए। महाराष्ट्र से 293 और गुजरात से लौटे 212 प्रवासी मजदूर कोविड-19 से संक्रमित मिले हैं। हालांकि, प्रवासी मजदूरों की स्क्रीनिंग में सरकार की ढिलाई की वजह से बिहार में कोरोना मरीजों का आंकड़ा बढ़ा है।

प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार ने लिया बड़ा फैसला
प्रवासी मजदूरों के बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित होने के मामले सामने आने के बाद बिहार स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें तीन अलग-अलग श्रेणियों में बांटने का फैसला लिया है। दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र को श्रेणी ‘ए’ में रखा गया है, दूसरे नंबर वो हैं जहां से कम केस आए हैं, उन्हें श्रेणी ‘बी’ में और जहां सबसे कम केस हैं या बिल्कुल पॉजिटिव केस नहीं हैं उन्हें ‘C’ कैटगरी में रखा है।

कोरोना मरीजों को लेकर सरकार का खास ध्यान
बिहार सरकार ने कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज को लेकर खास व्यवस्था की है। कोरोना मरीजों के लिए तीन डेडिकेटेड अस्पतालों में 2,344 बेड हैं। इनके अलावा, कोरोना मरीजों के लिए डेडिकेटेड केयर सेंटर और हेल्थ सेंटर में 7,769 बेड की व्यवस्था है। एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में 15,000 मरीजों को रखने करने की क्षमता है। अगर जरूरत पड़ी, तो क्वारंटीन सेंटर का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

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